असम विधानसभा चुनावः मुस्लिम बहुल इलाक़े में बीजेपी करेगी ये काम, जानिए सबसे पहले

जब बीजेपी ने यहाँ उम्मीदवारों की घोषणा की थी तो हिमंत बिस्व सरमा ने कहा था कि विधानसभा के चुनाव सांस्कृतिक आधार पर ही लड़े जाएंगे. उनका कहना था कि उन्हीं मुसलमान उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया है जो भारत और असम को अपनी मातृभूमि समझते हैं और वैष्णव पद्धति का सम्मान करते हैं.

यहाँ कि लाहरीघाट सीट से क़ादिरुज़्ज़मान जिन्नाह मैदान में हैं तो बाघबर से मुस्लिम महिला हसीन आरा ख़ातून को बीजेपी ने टिकट दिया है. वहीं रूपहीहाट से नाज़ीर हुसैन बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं तो शाहिदुल इस्लाम जनिया विधानसभा सीट से.

इनके अलावा सोनाई सीट से मौजूदा विधायक अमीनुल हक़ लस्कर फिर मैदान में हैं तो दक्षिण सालमारा से अशदुल इस्लाम उम्मीदवार बनाए गए हैं, बिलासीपाड़ा पश्चिम से डॉ. अबू बकर सिद्दीक़ और जलेश्वर सीट से उस्मान ग़नी को टिकट दिया गया है.

जिन प्रत्याशियों को बीजेपी ने असम के चुनावी समर में उतारा है, उनमें सबसे अधिक पाँच तीसरे और आख़िरी चरण में लोअर असम से मैदान में हैं.

असम की कुल 126 विधानसभा सीटों के लिए तीन चरणों में मतदान करवाए जा रहे हैं. 47 सीटों के लिए पहले चरण का मतदान 27 मार्च को हो चुका है, 39 सीटों पर दूसरे दौर का मतदान पहली अप्रैल को है जबकि तीसरे और अंतिम चरण के तहत 40 सीटों पर सात अप्रैल को वोट डाले जाएंगे.

2011 की जनगणना के मुताबिक़ पूर्वोत्तर राज्य असम में मुसलमान वहाँ की आबादी के क़रीब 35 फ़ीसद हैं. अपनी बड़ी आबादी के लिहाज़ से वहाँ के चुनावों में मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग इनका है.

लेकिन राज्य में भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता हिमंत बिस्व सरमा ने असम में चल रहे चुनावों से ठीक पहले यह कह दिया कि उनकी पार्टी को मुसलमानों के वोटों की ज़रूरत नहीं है.

फिर टिकट बंटवारे के समय बीजेपी को लगा कि वो इस समुदाय की असम में पूरी तरह से अनदेखी नहीं कर सकती है तो पार्टी ने कुल सात मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा. हालाँकि 2016 के विधानसभा चुनाव में यह संख्या नौ थी जिनमें केवल एक को ही जीत मिली सकी थी.