इस देश पर सेना ने किया कब्ज़ा , सड़कों पर उतारे टैंक

देश भर में लोगों ने सू की की रिहाई के लिए सोमवार को सड़कों पर उतरना जारी रखा। नैपीडॉ में छात्र समूहों के नेतृत्व में प्रदर्शन हुआ। पुलिस ने दर्जनों युवा प्रदर्शनकारियों को भी गिरफ्तार किया, हालांकि कुछ को बाद में रिहा कर दिया गया।

देश के दूसरे सबसे बड़े शहर मंडले में सुरक्षाबल और लोगों के बीच झड़प हुई, जिसमें कम से कम छह घायल हो गए। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ गुलेल का इस्तेमाल किया और भीड़ पर रबर की गोलियां दागीं। घटनास्थल पर पत्रकारों ने यह भी कहा कि पुलिस ने हाथापाई में उनकी पिटाई की।

संयुक्त राष्ट्र के उप प्रवक्ता फरहान हक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य क्रिस्टीन श्रानेर बर्गनर ने म्यांमार की सेना के उप-कमांडर सोइ विन के साथ बात की और चेतावनी दी कि नेटवर्क ब्लैकआउट्स मुख्य लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कमजोर करता है।

हक ने कहा कि इस तरह के शटडाउन “बैंकिंग सहित प्रमुख क्षेत्रों को नुकसान पहुंचाते हैं और घरेलू तनाव को बढ़ाते हैं। इसलिए, हमने इस बारे में अपनी चिंताओं को स्पष्ट किया है।

जनरलों ने सोमवार सुबह एक घंटे का इंटरनेट बंद किया और देश भर में सैन्य उतार दिए थे। ब्रिटेन स्थित निगरानी समूह नेटब्लॉक के अनुसार, मंगलवार को एक अन्य इंटरनेट कंपनी को बंद कर दिया गया, जिससे संपर्क सामान्य स्तर से 15 प्रतिशत तक गिर गया।

सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट से इस सप्ताह देश की राजधानी नैपीडॉ में “वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से” अदालत द्वारा पूछताछ हो सकती है। वकील खिन माउंग ज़ॉ ने कहा कि वह किसी से भी संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। क्योंकि उन्हें तख्तापलट के दिन 1 फरवरी को सुबह में हिरासत में लिया गया था।

सेना ने लगातार दो सप्ताह पहले सत्ता को अपने कब्‍ते में लिया, जिसके बाद देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। सेना ने नेता आंग सान सू समेत सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया है, जिसमें लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार के सदस्य भी शामिल हैं।

म्यांमार में देश भर में अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया गया और लगातार दूसरी रात इंटरनेट बंद रहा, जिसने तख्तापलट विरोधी प्रदर्शनों में और भी तेजी ला दी। प्रदर्शनकारी बड़ी तादाद में सोमवार को फिर सड़कों पर उतर आए।