दिलीप सिंह राणा उर्फ द ग्रेट खली का आज जन्म दिवस है। वह 48 वर्ष के हो जाएंगे। उनका जन्म 1972 में हुआ और उसके बाद वह पांचवीं तक पढ़ाई करने के बाद स्कूल छोड़ दिया ।
पढ़ाई छोड़ने के बाद उन्होंने गांव में सड़क के लिए पत्थर तोड़ने का काम शुरू किया। उसमें उन्हें आमदनी भी हो रही थी और खाना भी मिल जाता था। काम करने के बाद जब वह घर पहुंचते तो अपने सात भाई बहनों के साथ खाना खाते हुए जो भी उन्हें नसीब हुआ खा लेते थे।
अपने आकार के कारण उन्हें ज्यादा खाने की जरूरत थी, लेकिन सभी एक साथ खाते थे और जिसने जितना खाना खाया वहीं हासिल होता था।बलवान ने बताया कि उस समय जो जल्दी खा लेता उसका पेट भर जाता।
पत्थर तोड़ते-तोड़ते द ग्रेट खली को शिमला के किसी होटल में अच्छी नौकरी का ऑफर मिला। शिमला में किसी होटल ने उन्हें सिक्योरिटी की नौकरी की पेशकश मिली ।
खली उसी जमीन में एक टूटा फूटा शैड बनाकर आधा लेटते हुए रात दिन गुजारते। शैड इतना छोटा था कि उनके आकार के मुताबिक वह पूरा नहीं था इस तरह उन्होंने पूरा महीना जंगल में व्यतीत कर दिया।
जब उनके पिता उन्हें खोजते-खोजते जंगल पहुंचे और अपने बेटे को जंगल में इस हालत में देखा तो पिता उन पर गुस्साए, भड़के और कहा कि तुम्हें जानवरों का भी डर नहीं है क्या।
खली का तब भी यही जवाब था जो आज रेसलिंग के रिंग में होता है। खली ने कहा मैं किसी से नहीं डरता। यब बात जागरण संवाददाता सुनील शर्मा से बातचीत में खली के पीआरओ व भाई जैसे मित्र बलवान सिंह ने बताई। उन्होंने कहा कि ग्रेट खली आज भी वैसे ही हैं और कभी किसी से डरते नहीं हैं।
रेसलिंग के बेताज बादशाह द ग्रेट खली जब बचपन में अपने परिवार से कहासुनी के बाद एक महीने के लिए अकेले अपने पालतु कुत्ते के साथ जंगल में चले गए थे।
एक महीने तक घने जंगल में उन्होंने टूटी लकड़ी का शैड बनाकर एक तेजधार बरछे के सहारे और अपने स्कूल के अध्यापक द्वारा दिए गए चावलों के कट्टे के साथ गुजारा।
यह बात लगभग 1990 के करीब की है जब उनकी उम्र 22 वर्ष रही होगी। जब वह जंगल के लिए निकले तो एक बरछा पीठ पर बांधा और अपने कुत्ते की रस्सी हाथ में थाम कर निकल गए थे।
जंगल में उनके अध्यापक की काफी जमीन थी, जिसका उन्हें पता नहीं था, लेकिन जब अध्यापक ने उन्हें वहां देखा तो उन्हें अपनी जमीन की रखवाली का जिम्मा दे दिया। अध्यापक ने खली से कहा कि तुम इसकी रखवाली कर देना और मैं तुम्हारे खाने का इंतजाम कर दूंगा।