कोरोना महामारी के बीच चीन ने इस देश को दी बड़ी चेतावनी, कहा अगर ज्यादा…

कोरोना वायरस (COVID-19) से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या 37 लाख से ज्यादा हो गई है. अमेरिका में इससे 72 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है.

 

वहां 12 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं. भारत में भी संक्रमित लोगों की संख्या 49000 के पार चली गई है. इसकी दवा अब तक उपलब्ध नहीं है. इसलिए इससे बचाव ही एकमात्र रास्ता है.

कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए इसके लक्षणों को पहचानना बेहद जरूरी है. लक्षणों को पहचानकर ही कोरोना वायरस को काबू में किया जा सकता है.

अत्याचारियों के प्रति जितनी सहानुभूति होगी, हांगकांग को उतनी ही बड़ी कीमत चुकानी होगी।” एचकेएमएओ का यह बयान हांगकांग में सितंबर में होने वाले चुनाव से पहले आया है।

इसमें साफ तौर पर लोकतंत्र समर्थक नेताओं को धमकी दी गई है। बता दें कि हांगकांग में प्रत्यर्पण बिल के खिलाफ जून 2019 में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे।

तब से लेकर अब तक सात हजार प्रदर्शनकारी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। कोरोनावायरस के चलते यहां प्रदर्शन थम गया था। अब फिर से यहां छिटपुट प्रदर्शन शुरू हुए हैं। कुछ हफ्ते पहले ही हांगकांग की पुलिस ने लोकतंत्र समर्थक 14 प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार किया है।

हांगकांग के मौजूदा प्रत्यर्पण कानून में कई देशों के साथ इसके समझौते नहीं है। इसके चलते अगर कोई व्यक्ति अपराध कर हांगकांग वापस आ जाता है तो उसे मामले की सुनवाई के लिए ऐसे देश में प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता।

चीन भी इस लिस्ट से बाहर था। पिछले साल हांगकांग प्रशासन एक प्रत्यर्पण बिल लेकर आया था, जिसके मुताबिक अगर हांगकांग का कोई व्यक्ति चीन में कोई अपराध करता है तो उसके खिलाफ हांगकांग में नहीं बल्कि चीन में मुकदमा चलाया जाएगा। इसके विरोध में प्रदर्शन शुरू हो गए थे। बिल वापस लेने बाद भी ये प्रदर्शन नहीं थमे और लोकतंत्र की मांग की जाने लगी।

चीन ने हांगकांग के प्रदर्शनकारियों को लेकर चेतावनी देते हुए उन्हें ‘पॉलिटिकल वायरस’ के अलावा जहरीला और हिसंक बताया। चीन ने कहा कि शांति के लिए इस वायरस को समाप्त करना जरूरी है।

बुधवार को चीन के हांगकांग और मकाओ मामलों के कार्यालय (एचकेएमएओ) की ओर से चेतावनी दी गई कि चीन इस पर अब चुप नहीं बैठेगा।

चेतावनी में कहा गया, ”प्रदर्शनकारियों का मंत्र “अगर हम जलेगें हैं, तो आप भी हमारे साथ जलेंगे” यह एक राजनीतिक वायरस है। आंदोलन के आयोजक हांगकांग को ऊंचाई से खींचकर नीचे पटकना चाहते हैं। इसके साथ ही कई हांगकांग वासियों के मन में उनके प्रति सहानुभूति है।