कोरोना के बीच संभालें आंखों की रोशनी, फ़ैल रहा ब्लैक फंगस का खतरा

काला फंगस के इलाज में पहले दिन ऑपरेशन करके डॉक्टर हर तीसरे दिन दूरबीन विधि से नाक की सफाई करता है। इतना ही नहीं जान बचाने के लिए कई बार आंख तक को निकालना पड़ता है। अच्छा इलाज लेकर 100 में से पांच मरीज ही बच पाते हैं। अगर काला फंगस दिमाग तक पहुंच जाए तो 100 में से सिर्फ एक मरीज ही बच पाता है।

डॉ. बी पी त्यागी ने बताया कि अगर शुगर मरीज व कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों को कोरोना हुआ है और उन्हें कोरोना के दौरान व उसके तीन महीने बाद इन लक्षणों में से कोई लक्षण महसूस होता है तो वे तुरंत नाक, कान, गला व आंख स्पेशलिस्ट से संपर्क करें जो सीटी स्केन, एमआरआई आदि से उनका फैलाव देखेंगे।

काला फंगस दिल्ली के बाद अब गाजियाबाद में भी प्रवेश कर चुका है ऐसे में लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। यह जानकारी कोरोना के खिलाफ दिन-रात जंग कर रहे शहर के मशहूर डॉक्टर बी पी त्यागी ने दी।

काला फंगसकोरोना इलाज के दौरान अधिक स्टेरॉयड लेने से होता है। डॉ. बी पी त्यागी ने बताया कि काला फंगस शुगर व कमजोर इम्यूनिटी वाले मरीजों को अपना शिकार बनाता है।

इस बीमारी के लक्षणों में चेहरे पर सुन्नपन आना, एक तरफ या दोनों तरफ की नाक का बंद होना, आंखों में कालीपन, सूजन, आंख की पुतला का ना घूमना, अंधापन होना, आंख से दो-दो दिखाई देना, तालू की लालिमा का खत्म होना, दांतों का हिलना, खाने में दिक्कत होना, सरदर्द, चक्कर आना, उल्टी आना, बेहोशी छाना व सुस्ती आना है।