महाराष्ट्र में तमाम राजनीतिक दांवपेंच चलने के बाद दिख रही सरकार के गठन की गुंजाइश नहीं

महाराष्ट्र में आखिरकार तमाम राजनीतिक दांवपेंच चलने के बाद वर्तमान हालात देखते हुए सरकार के गठन की गुंजाइश नहीं दिख रही है। ऐसे में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। बता दें कि भारत के अलग-अलग राज्यों में अब तक करीब 125 बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है। जबकि महाराष्ट्र में अब तक दो बार ही राष्ट्रपति शासन लागू हुआ है। ताजा घटनाक्रम के अनुसार, महाराष्ट्र में राजनीतिक हालात विकट हो गए हैं। किसी भी दल की ओर से राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को अब तक बहुमत का समर्थन पत्र नहीं सौंपा गया है। ऐसे में मियाद बीतने के बाद राज्यपाल कोश्यारी की ओर राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की जाएगी। महाराष्ट्र में वैसे देखा जाए तो अब तक दो बार राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है।

जानें, कब-कब लगा राष्ट्रपति शासन महाराष्ट्र में पहले भी दो बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है। अब यह तीसरी बार है जब इसे लागू किया जाएगा। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मंगलवार को इसकी सिफारिश भी कर दी है।

पहली बार: महाराष्ट्र में पहली बार 17 फरवरी 1980 को लागू हुआ था। उस वक्त शरद पवार मुख्यमंत्री थे। उनके पास बहुमत था, हालांकि राजनीतिक हालात बिगड़ने पर विधानसभा भंग कर दी गई थी। ऐसे में 17 फरवरी से आठ जून 1980 तक करीब 112 दिन तक राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू रहा था।

दूसरी बार: इसी तरह 28 सितंबर 2014 को भी महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। उस वक्त राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस थी। कांग्रेस अपने सहयोगी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सहित अन्य दलों के साथ अलग हो गई थी और विधानसभा भंग कर दी गई थी। ऐसे में 28 सितंबर 2014 से लेकर 30 अक्तूबर यानि 32 दिनों तक राज्य में दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लागू रहा।

क्या है राष्ट्रपति शासन, कैसे होता है लागू राष्ट्रपति शासन का अर्थ है, किसी राज्य का नियंत्रण भारत के राष्ट्रपति के पास चला जाना। लेकिन प्रशासनिक दृष्टि से केंद्र सरकार इसके लिए राज्य के राज्यपाल को कार्यकारी अधिकार प्रदान करती है। संविधान के अनुच्छेद 352, 356 और 365 में राष्ट्रपति शासन से जुड़े प्रावधान दिए गए हैं।

अनुच्छेद 356 के अनुसार राष्ट्रपति किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं यदि वे इस बात से संतुष्ट हों कि राज्य सरकार संविधान के मुताबिक काम नहीं कर रही है। अनुच्छेद 365 अनुसार राज्य सरकार केंद्र सरकार द्वारा दिए गए संवैधानिक निर्देशों का पालन नहीं करती तो उस हालात में भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।

अनुच्छेद 352 के तहत आर्थिक आपातकाल की स्थिति में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।

महाराष्ट्र में क्यों नहीं बनी सरकार गौरतलब है कि राज्य में हुए हाल के विधानसभा चुनाव में भाजपा सहित किसी भी दल को स्पष्ठ बहुमत नहीं मिला था। भाजपा 105 सीटें हासिल कर सबसे बड़ा दल जरूर थी। जबकि शिवसेना को 56 सीटें मिली थीं। वहीं भाजपा और शिवसेना ने मिलकर 50:50 के फॉर्मूले पर गठबंधन किया था।

चुनाव परिणाम आने के बाद जब शिवसेना ढाई साल मुख्यमंत्री बनाने की जिद पर अड़ गई तो राजनीतिक हालात बिगड़ते चले गए। इसके बाद शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से भी सरकार बनाने की संभावना तलाशी, लेकिन इसमें भी सफलता नहीं मिली।

ऐसे टूटा 30 साल पुराना भाजपा-शिवसेना का गठबंधन महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए भाजपा ने शिवसेना को गृहमंत्री सहित कैबिनेट में समान संख्या में मंत्री पद देने की पेशकश की थी। लेकिन शिवसेना मुख्यमंत्री पद के लिए अड़ी रही। यहां तक कि शिवसेना के एकमात्र सांसद और केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल अरविंद सावंत ने सोमवार को इस्तीफा तक दे दिया।

इसके साथ ही राज्य में भाजपा के साथ चला आ रहा 30 साल पुराना गठबंधन भी टूट गया। वहीं दूसरी ओर शिवसेना ने शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से राज्य में सरकार बनाने का फैसला किया थे, परंतु इसमें भी विफल रही।