नूतन एक ऐसी अदाकारा थीं, जिसने फिल्मी पर्दे पर भारतीय नारी और उसके गहरे जज्बात को सम्मान का हकदार बनाया. नूतन का जन्म एक्ट्रेस शोभना समर्थ और कुमार सेन सामर्थ्य के घर मुंबई में 4 जून 1936 को हुआ था. नूतन बहल शायद अपने नाम की तरह भारतीय फिल्म इतिहास के पर्दे पर नई कहानी लिखने के लिए ही पैदा हुई थीं और उनकी तालीम का सिलसिला पंचगनी से लेकर स्विटजरलैंड तक चला.
14 साल की नन्ही उम्र में लाइट कैमरा एक्शन की दुनिया में कदम रखा. उनकी पहली फिल्म हमारी बेटी को उनकी मां शोभना समर्थ ने ही डायरेक्ट किया था. 40 साल के लंबे करियर में उन्होंने 70 फिल्मों में बेमिसाल किरदार निभाए.
1955 में फिल्म ‘सीमा’ के लिए उन्हें पहला फिल्म फेयर अवॉर्ड दिया गया. इसके अलावा ‘सुजाता’ 1959, ‘बंदिनी’ 1963, ‘मिलन’ 1967 और ‘मैं तुलसी तेरे आंगन’ की में निभाएं यादगार रोल्स के लिए सबसे ज्यादा फिल्म फेयर अवॉर्ड हासिल करने वाली एक्ट्रेस में उनका नाम आज भी शुमार है.
11 अक्टूबर 1959 में नूतन नेवी के लेफ्टिनेंट कमांडर रजनीश बहल के साथ सात फेरे लेकर शादी के बंधन में बंध गईं. उनके बेटे मोहनीश बहल फिल्म इंडस्ट्री में बतौर एक्टर जाना पहचाना नाम हैं. उनकी बहन तनुजा, और बाद में भांजी काजोल ने अदाकारी की दुनिया में उनके नाम को और आगे बढ़ाया .
11 अक्टूबर 1959 में नूतन नेवी के लेफ्टिनेंट कमांडर रजनीश बहल के साथ सात फेरे लेकर शाद के बंधन में बंध गईयूं तो 1952 में ही अपनी सांवली सलोनी सूरत से नूतन ने मिस इंडिया का खिताब जीत लिया था. राज कपूर के साथ ‘छलिया’ ,देवानंद के साथ ‘पेइंग गेस्ट’, सुनील दत्त के साथ ‘सुजाता’ जैसी फिल्मों से अपने चाहने वालों के दिलों में हमेशा के लिए घर कर लिया. खूबसूरत सा फिल्मी सफर लिखकर 21 फरवरी 1991 को कैंसर की वजह से नूतन ने दुनिया को अलविदा कह दिया. और अपनी यादों के तौर पर बॉलीवुड इंडस्ट्री को आखिरी फिल्म ‘कानून’ दे गई.
नूतन को फिल्मों में उनके योगदान के लिए 1974 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया. 2011 में उनके नाम पर डाक टिकट भी जारी किया गया.