गाजीपुर का गहमर इलाका वहीं है जहां सबसे पहले गंगा में तैरती हुई लाशें देखी गई थीं. बुधवार को भी सिलसिला जारी रहा और आजतक की टीम ने वह भयानक मंजर अपनी आंखों से देखा.
गहमर घाट पर गुरुवार को भी तीन लाशें बरामद की गईं जिनकी प्रशासन द्वारा अंत्येष्टि कर दी गई. गाजीपुर में जो हालात हैं उन्हें देखकर स्थानीय लोगों में भी दहशत का माहौल है.
गहमर घाट पर मंगलवार की दोपहर भी 3 लाशें तैरती हुई प्रशासन को मिलीं. लाशों को निकलवाने के बाद उनकी अंत्येष्टि कर दी गई. पानी में फूली हुई लाशों को जलाया नहीं जा सकता इसलिए उन्हें दफना दिया गया.
इलाके के ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर अरुण वर्मा कहते हैं, “आज भी तीन शव बरामद हुए हैं. उनकी अंत्येष्टि की जा रही है और साथ-साथ हम इलाके के लोगों को मुनादी करते हुए अपील कर रहे हैं कि लोग शवों को गंगा में ना बहाएं. जिनके पास लकड़ियों की व्यवस्था नहीं है.
हम उन्हें कह रहे हैं कि प्रशासन मदद करेगा. लेकिन शवों की संख्या अनगिनत है, ऐसे में यह पहचानना भी मुश्किल है कि शव महिला के हैं या पुरुष के, कहीं एक साथ दो शव पड़े हैं तो कहीं 3. इतनी मौतें कागजों पर क्यों दिखाई नहीं पड़ रहीं, ये सवाल सिस्टम से जरूर पूछा जाएगा.
एक तो बीमारी के संक्रमण का डर ऊपर से पानी पर तैरती लाशें किसी डरावने सपने से कम नहीं है. गहमर के रहने वाले घनश्याम चौधरी कहते हैं, “पिछले दो-तीन दिनों से लाशें यहां पर आने लगी हैं. डर के मारे लोग गंगा में स्नान करने भी नहीं जा रहे हैं. प्रशासन के लोगों ने कुछ लाशों को नदी के दूसरी तरफ दफना दिया तो कुछ को चूना डालकर डीकंपोज कर दिया.”
उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य पहले ही कोरोना वायरस की महामारी से बेहाल हैं. ऊपर से नदियों में तैरती लाशों ने माहौल को और डरावना बना दिया है. जो गंगा जीवन दान देती है, उस गंगा की धारा में अनगिनत लाशों को प्रवाहित किया जा रहा है. चाहे उत्तर प्रदेश का गाजीपुर हो या बिहार का बक्सर, पिछले तीन-चार दिनों से तैरती लाशों के चलते इलाके में खौफ का माहौल है.