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इस रस्सी को लेकर कई तरह के अंधविश्वास प्रचलित हैं। दरअसल ब्रिटेन में जब फांसी दी जाती थी तो इस रस्सी को जल्लाद को दे दिया जाता था। ना जाने कैसे ये बात ब्रिटेन में प्रचलित हो गई कि अगर कोई इस रस्सा का टुकड़ा घर पर रख ले या उसका लॉकेट पहन ले तो उसकी भाग्य बदल सकती है।
इतिहास में ये उल्लेख मिलता है कि ब्रिटेन में जल्लाद इन रस्सी के टुकड़े करके उसे बेच देते थे व लोग खुशी खुशी उन्हें खरीदते थे। हालांकि 1965 में ब्रिटेन में फांसी पर रोक लगा दी गई।
कारागार के स्टाफ में बांट दी जाती थी
आमतौर पर हिंदुस्तान में ये रस्सी जल्लाद को ही दे दी जाती है या जल्लाद इसे ले जाता है। कई राष्ट्रों में इस रस्सी को कई छोटे टुकड़ों में काटकर जेल के डेथ स्क्वॉड को दे दिया जाता है, जिसमें बड़े अधिकारियों से लेकर निचले स्तर तक के गार्ड तक शामिल रहते हैं।
हिंदुस्तान में इस रस्सी को लेकर व कहीं बेशक अब तक अंधविश्वास नहीं सुना गया लेकिन साल 2004 में जब नाटा मल्लिक जल्लाद ने बलात्कार व हत्या के दोषी धनंजय चटर्जी को फांसी पर लटकाया था तो उसने इस रस्सी के टुकड़ों से बहुत कमाई की थी।
मल्लिक फांसी की रस्सी से लॉकेट बेचने लगा
दरअसल बंगाल में ना जाने कैसे ये अंधविश्वास फैल गया कि फांसी की रस्सी का लॉकेट पहनने से भाग्य पलट जाती है। अगर आपके पास जॉब नहीं है तो रोजगार मिल जाता है। अगर लोन में दबे हैं तो इससे छुटकारा मिल जाएगा। बेहतर दिन प्रारम्भ हो जाएंगे। व्यापार में घाटा हो रहा है तो भाग्य बदल जाती है।
जब ये आप कोलकाता में फैलने लगी तो नाटा मल्लिक के घर के आगे लॉकेट की रस्सी लेने वालों की भीड़ लगने लगी।
वो फांसी देने के बाद रस्सी साथ ले आता था
इसके बाद भी नाटा मल्लिक ने जमकर ऐसी रस्सियां बेचीं। एक लॉकेट की रस्सी उसने करीब 2000 रुपये तक बेची। उसके पास पुरानी फांसी दी गईं रस्सियां भी थीं। इसकी लॉकेट वो 500 रुपये में बेचता था। मल्लिक ने अपने घर के बाहर एक तौलिए को फांसी की गांठ की शक्ल में टांग रखा था।