27 फीसदी को सताता है निजता का भय

22 राष्ट्रों के 22 हजार लोगों पर एक अध्ययन किया गया है जिसमें उनसे पूछा गया कि घर से दूर रहने पर उन्हें कैसा महसूस होता है. जिसके जवाब बहुत ज्यादा चौंकाने वाले हैं. 35 फीसदी लोगों का मानना है कि घर से दूर रहने पर वह चाहे जितने ऐशो-आराम के संसाधन जुटा लें, लेकिन उन्हें घर वाली भावना नहीं आती है. इसमें वह लोग शामिल हैं जो रोजगार या पढ़ाई के लिए घर से दूर रह रहे हैं. वहीं घर से बाहर रहने वालों में 33 फीसदी को अपनी सुरक्षा की तो 27 फीसदी को निजता की चिंता सताती है.
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यह आंकड़े फर्नीचर कंपनी आईकिया द्वारा कराए गए सर्वे से सामने आए हैं. जिन 22 राष्ट्रों पर अध्ययन किया गया है उनमें हिंदुस्तान भी शामिल है. अध्ययन में लोगों का कहना था कि नए घर में उन्हें मानसिक सुकून नहीं मिलता. इसी वजह से वह अकेला रहना पसंद करते हैं. 72 फीसदी लोगों का कहना है जब उन्हें मानसिक कठिनाई महसूस होती है तो वह बेडरुम में अकेले बैठना पसंद करते हैं. ऐसी स्थिति में 45 फीसदी लॉन्ग ड्राइव पर जाते हैं जबकि 55 फीसदी खुद को बाथरुम में बंद कर लेते हैं.

53 फीसदी लोगों ने माना कि नए शहर में बसाए गए घर में उन्हें अपनेपन का भाव नहीं आता है. यहां जितने संसाधन जुटा लें मगर उन्हें यह अपना नहीं लगता है. जब उनसे पूछा गया कि उन्हें अपनापन सबसे ज्यादा किसके साथ महसूस होता है तो 57 फीसदी लोगों ने परिवार का नाम लिया. 34 फीसदी लोगों का कहना था कि उन्हें दोस्तों के साथ अपनापन महसूस होता है. वहीं बाकी लोगों का कहना था कि उन्हें किसी के भी साथ अपनापन महसूस नहीं होता है.

अध्ययन से पता चला है कि घर को कार्यस्थल के तौर पर प्रयोग करने का ट्रेंड बढ़ा है. 25 फीसदी लोगों का कहना है कि वह दफ्तर जाकर कार्य करने की बजाए घर से ही कार्य करना ज्यादा पसंद करते हैं. एक अन्य अध्ययन के अनुसार एशिया के लोग जिंदगी में औसतन 5 से 6 बार अपना घर बदलते हैं. जबकि अमेरिका  यूरोप में रहने वाले लोग औसतन 11 बार अपना आशियाना बदलते हैं.