2019 के लोकसभा चुनाव में नेताओं का दल बदलने का क्रम जारी

2019 के लोकसभा चुनाव में नेताओं का दल बदलने का क्रम जारी है। इस कड़ी में प्रयागराज जिले की शहर पश्चिमी विधानसभा से ताल्लुक रखने वाले पूर्व जिला पंचायत सदस्य उमेश पाल (umesh pal) ने भी गुरुवार को बसपा (BSP) का दामन छोड़ बीजेपी (BJP) का दामन थाम लिया है। सूबे के कैबिनेट मंत्री एसपी बघेल (SP. Singh Baghel) ने उमेश पाल को पार्टी की सदस्यता दिलायी।

Atique के गढ़ में लगाई थी सेंध
बसपा के कद्दावर नेता व शहर पश्चिमी में पाल मतदाताओं का धुव्रीकरण करने वाले उमेश पाल (umesh pal) ने गुरुवार को भाजपा ज्वाइन कर ली है। उमेश का एकाएक बसपा (BSP) छोडने का सही कारण अभी तक सामने नहीं आया है, लेकिन बसपा के लिये यह बड़ा झटका साबित होगा। उमेश पूर्व विधायक पूजा पाल (Pooja Pal) के भाई हैं। उमेश पाल शहर पश्चिमी इलाके से ही जिला पंचायत सदस्य चुने जाते रहे हैं। बता दें कि यह इलाका बाहुबली अतीक अहमद का गढ़ रहा है। जिसमें सेंध लगाने में उमेश पाल की भी भूमिका अहम मानी जाती है। फिलहाल पाल बिरादरी के वोटों को अब भाजपा (BJP) के लिये जुटाना उमेश के लिये बड़ी जिम्मेदारी और चुनौती होगी।

बाहुबली से खुलेआम दुश्मनी ने दी पहचान

उमेश पाल (umesh pal) का नाम राजनीति की दुनिया में 2005 उभर कर सामने आया था। इस नाम के पीछे उमेश की बाहुबली अतीक अहमद (Atique Ahmed) से सीधी दुश्मनी थी, जिसने शहर पश्चिम में उमेश की सियासी इंट्री करायी थी। दरअसल 2005 में विधायक पूजा पाल के पति राजू पाल की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गयी थी। इस मामले में उमेश पाल गवाह हैं। अतीक से दुश्मनी का फायदा उमेश और पूजा पाल को मिला, दोनों ने सियासी सीढियां चढी। राजू पाल की हत्या के बाद लोगों का इन्हे खूब सपोर्ट मिला और देखते ही देखते यह बसपा के बड़े नेता बन गये। जो पाल मतदाताओं को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं।

आस-पास के जिलों पर पकड़

उमेश पाल और पूजा पाल प्रयागराज जिले ही नहीं आस पास के आधा दर्जन जिलों में पाल बिरादरी के सबसे कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं। लेकिन मायावती ने पूजा पाल को पार्टी हित से जुडी गतिविधियों से दूर देखकर पार्टी से निकाल दिया था। हालांकि पूजा ने सपा ज्वाइन कर ली थी और उन्नाव से इस बार सपा ने उमेश की बहन पूजा पाल को तो टिकट दे दिया, लेकिन भारी दबाव के चलते पूजा का टिकट कट गया। अंदर खाने की खबर यह है कि पूजा के टिकट काटे जाने के पीछे मायवती ही थी, लेकिन उसे दूसरा रूप देकर बिरादरी से सामंजस्य न होने का नाम दे दिया गया। जबकि आस पास के जिलों में पिछले एक दशक से पाल बिरादरी के लिये पूजा पाल बडा चेहरा बनकर उभरी है। फिलहाल टिकट कटने के बाद अब उसका रिएक्शन ही उमेश पाल का भाजपा में होना बताया जा रहा है। देखा जाये तो लगातार अतीक अहमद की मुश्किल बढ़ा रही भाजपा, उमेश के लिए काफी मुफीद स्थान है, जिससे दोनों को सियासी फायदा होगा।