2019 के बजट में इनफॉर्मल सेक्टर को मोदी गवर्नमेंट बड़ी सौगात दे सकती है। गवर्नमेंट सूक्ष्म व लघु उद्योग में सोशल सिक्योरिटी को लेकर बड़े ऐलान कर सकती है। मसलन, गवर्नमेंट चाहती है कि जो कम सैलरी पर कार्य करने वाले लोग हैं, उन्हें प्रोविडेंट फंड, इंश्योरेंस व पेंशन जैसी सुविधाएं मिलें। अभी तक ये सुविधाएं ऑर्गनाइज्ड सेक्टर को मिलती हैं।
पहले इनफॉर्मल व ऑर्गनाइज्ड सेक्टर का फर्क समझें
छोटी व मध्यम वर्ग की कंपनियां, जिनके कर्मचारियों की संख्या रजिस्टर नहीं होती व जिन कंपनियों में ज्यादातर दिहाड़ी मेहनतकश लोग कार्य करते हैं ऐसी कंपनियां इनफॉर्मल सेक्टर में शामिल होती हैं। गवर्नमेंट के पास कंपनियों का रिकॉर्ड तो होता है, लेकिन वर्कर्स के बारे में जानकारी नहीं होती। इन कंपनियों में कम सैलरी के कर्मचारी होते हैं व अधिकांश लोगों को PF, इंश्योरेंस जैसी सुविधाएं नहीं मिलतीं। इनफॉर्मल सेक्टर के ज्यादातर लोग कर के दायरे में नहीं आते। वहीं ऑर्गनाइज्ड सेक्टर की कंपनियों का पूरा रिकॉर्ड व वहां कार्य करने वाले कर्मचारियों का रिकॉर्ड भी गवर्नमेंट के पास होता है। इन कर्मचारियों को हर तरह की सोशल सिक्योरिटी की सुविधाएं मिलती हैं।
क्या है गवर्नमेंट का प्लान?
गवर्नमेंट मानती है कि इनफॉर्मल सेक्टर में रोजगार के मौके बढ़ रहे हैं। अगर सोशल सिक्योरिटी लागू की जाए, तो लोगों का रुझान बढ़ेगा व एक जॉब के लिहाज से सिक्योरिटी भी होगी।आंकड़ों बताते हैं कि राष्ट्र मे करीब 12 करोड़ से ज़्यादा लोग MSME सेक्टर में कार्य कर रहे है, जबकि पंजीकृत व गैर पंजीकृत करीब 5 करोड़ से ज्यादा MSME मौजूद हैं। इनफॉर्मल सेक्टर का राष्ट्र के GDP में तकरीबन 27% का सहयोग है। इसमें से 7% करीब मैन्युफैक्चरिंग में है व करीब 21% सहयोग सर्विस इंडस्ट्री का है। गवर्नमेंट का लक्ष्य है कि इनफॉर्मल सेक्टर में सोशल सिक्योरिटी के जरिए ना केवल नौकरियां पैदा होंगी बल्कि फॉर्मल सेक्टर पर पड़ने वाले दबाव को भी घटाया जा सकेगा।