19 की उम्र में किया रेप और 41 साल में मिली सजा…

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 21 साल बाद रेप के एक मामले नासिक के मछिंद्र सोनवाने को सजा सुनाई। खास बात ये है कि इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया था।

जस्टिस इंद्रजीत महंती और विश्वास जादव की बेंच ने 21 साल पुराने ट्रायल बेंच के फैसले को पलटते हुए दोषी करार दिया। 1997 में ट्रायल बेंच ने मछिंद्र को बरी किया था।

घटना के वक्त मछिंद्र की उम्र 19 साल थी और अब 41 साल की उम्र में सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने आरोपी की दो दशक की देरी से फैसला आने की वजह से राहत देने की अपील को भी ठुकरा दिया।

साथ ही कोर्ट ने मछिंद्र को पीड़िता को एक लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। सोनवाने को अगले एक महीने के अंदर सरेंडर करना है।

कोर्ट ने साथ ही कहा कि ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में एक्स-रे रिपोर्ट को आधार माना। ट्रायल कोर्ट ने पीड़िता को 16 साल का माना, जो उस वक्त रजामंदी की उम्र थी। एक दिसंबर 1996 को पीड़िता नासिक में अपने घर पर अकेली थी और आरोपी की दवा की दुकान पर सरदर्द की दवा लेने गई थी।

मछिंद्र जबरदस्ती उसे अपने कमरे पर ले गया, उसके साथ रेप को अंजाम दिया और फिर पीड़िता को उसके घर के बाहर जाकर फेंक दिया।

पीड़िता के परिवार वालों ने उसे घर के बाहर खून से लतपत पाया। जिसके बाद अस्पताल जाने पर पता चला कि पीड़िता के साथ जबरदस्ती की गई है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया और 1997 में इस केस की सुनवाई शुरू हुआ।

ट्रायल कोर्ट ने पीड़िता को 16 साल का मानते हुए अपना फैसला आरोपी के पक्ष में सुनाया। उस वक्त भारत में मर्जी से संबध बनाने की उम्र 16 साल थी जो अब 18 हो चुकी है। हाईकोर्ट ने यह स्वीकारा कि इतने संगीन जुर्म में ट्रायल कोर्ट ने उम्र पता करने में गलती की और फैसला आरोपी के पक्ष में सुनाया। अपने फैसले में हाईकोर्ट ने पहा कि पीड़िता के शरीर पर चोट के निशान न मिलना यह साबित नहीं करता कि उसकी मर्जी से सब कुछ हुआ।

बल्कि उसने बस अपनी जान बचाने के लिए इसका विरोध नहीं किया। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब पीड़िता स्वयं कह रही है कि उसकी मर्जी नहीं थी तो हमें भी इस बात को मानना चाहिए। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ट्रायल कोर्ट ने साक्ष्य अधिनियम के प्रावधानों को नजरअंदाज किया और यही वजह है कि आरोपी को बरी किया गया था।