18 साल बाद अमेरिका के किया ये काम, जानकर लोग हुए हैरान

तालिबान के साथ हुए समझौते के मुताबिक अमरीका अफगानिस्तान में अपने सैनिकों की संख्या घटाकर 8,600 करने के लिये प्रतिबद्ध है.

 

अधिकारियों ने कहा कि अगर अफगान पक्ष किसी समझौते पर पहुंचने में नाकाम रहता है तो अमरीका अपने सैनिकों की वापसी के लिये बाध्य नहीं है।

अफगानिस्तान में अभी करीब 13,000 अमरीकी सैनिक हैं। एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि जवानों की वापसी और समझौता एक समानांतर प्रक्रिया है।

अफगान सरकार, तालिबान और अन्य समूहों के प्रतिनिधि नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में 10 मार्च तक आमने-सामने की बैठक करेंगे।

अफगानिस्तान में शांति स्थापना के लिए शनिवार को दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच समझौते पर हस्ताक्षर के साथ ही अधिकारियों ने यहां बैठक के बारे में जानकारीदी।

अमरीका पर 11 सितंबर 2001 के हमलों के बाद संभवत: यह पहली बार होगा जब विधि अनुसार निर्वाचित अफगान सरकार और तालिबान के प्रतिनिधियों के बीच शांति वार्ता के लिए आमने-सामने की बैठक होगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘ओस्लो में दोनों पक्षों की बैठक होगी।

हमें उम्मीद है कि यह मार्च के पहले पखवाड़े में शुरु होगी। सभी पक्षों को वहां पहुंचने में एक से डेढ़ सप्ताह का समय लग सकता है।’ इस अमरीका के पास अफगानिस्तान में हिंसा में कमीं को परखने का अच्छा अवसर होगा और एक बार सभी पक्षों के मेज पर आ जाने से स्थायी युद्धविराम की दिशा में बढऩे का शायद एक बेहतर मंच तैयार होगा।

कतर (qatar) की राजधानी दोहा (doha) में अमरीका (america) तथा तालिबान (taliban) के बीच बहुप्रतीक्षित शांति समझौता (peace deal) संपन्न हो गया है।

इस समझौते के तहत जहां अठारह साल से लड़ रही अफगानिस्तान (afganistan) से अमरीका अपनी सेना वापिस बुलाने के लिए सहमत हो गया है वहीं अफगानिस्तान में शांति बनाये रखने के लिए सरकार व तालिबान के बीच नार्वे की राजधानी में अलग से बैठक होगी।

अमरीका ने तालिबान के समक्ष यह भी शर्त रखी है कि वह अलकायदा (alqaida) के साथ कोई संबंध भविष्य में नहीं रखेगा। विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और भारत समेत कई अन्य विदेशी राजनयिकों की मौजूदगी में अमरीका ने दोहा में तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।