104 रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों ने सीएम योगी को लिखी चिट्ठी, कहा करना चाहिए…

इसके अलावा चिट्ठी में लिखा गया, “ये अत्याचार, कानून के शासन के लिए समर्पित सभी भारतीयों के आक्रोश की परवाह किए बिना जारी हैं.” साथ ही पत्र में लिखा गया है कि आपके राज्य में इस कानून का इस्तेमाल लाठी के तौर पर किया जा रहा है. खासकर, जो हिंदुस्तानी मुस्लिम लड़के हैं और जो पसंद का अधिकार का प्रयोग करने की हिम्मत रखते हैं.

पूर्व अधिकारियों ने अपनी चिट्ठी में मुरादाबाद केस का जिक्र भी किया है. चिट्ठी में लिखा, “पुलिस इस मामले में मूकदर्शक बनी रही जबकि कुछ लोग निर्देष दंपति को परेशान करते रहे.

इस घटना के बाद महिला का गर्भपात भी हो गया.” पूर्व नौकरशाहों ने लिखा कि यह युवा भारतीयों के खिलाफ किए गए “जघन्य अत्याचारों” की श्रृंखला में से एक है, जो “स्वतंत्र देश के नागरिकों के रूप में अपना जीवन बसर करना चाहते हैं.”

अधिकारियों ने इस अध्यादेश को अवैध बताते हुए कानून के तहत गिरफ्तार आरोपियों के लिए मुआवजे की मांग भी की है. पत्र में कहा गया है कि जिस यूपी को कभी गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता था, वो अब घृणा, विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बन गया है और शासन की संस्थाएं अब सांप्रदायिक जहर में डूबी हुई हैं. ये काफी दर्दनाक है.

यूपी में लव जिहाद कानून को लेकर विरोध तेज होता जा रहा है. इस कानून को लेकर 104 रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों ने सीएम योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी है. इन अधिकारियों ने चिट्ठी में लव जिहाद कानून का विरोध किया है.

पूर्व अधिकारियों ने कानून के उपयोग पर चिंता जाहिर करते हुए इसको लेकर अपनी अस्वीकृति जाहिर की है. पत्र लिखने वालों में पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव, प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार टीकेए नायर, के सुजाता राय और एएस दौलत भी शामिल हैं.