सिडनी में शुरू होने जा रहे चौथे और आख़िरी टेस्ट मैच

“काफ़ी खुश हैं, ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सिरीज़ में बढ़त ली हुई है. ट्रॉफ़ी यहां से लेकर जाएंगे, लेकिन देखेंगे कि आख़िरी टेस्ट मैच में क्या होता है. हमारा उद्देश्य सिरीज़ जीतना है और यह सोचकर हम यहां आए थे.”

यह कहना था भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली का जब भारत ने मेलबर्न में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया को 137 रन से करारी मात दी. इसके साथ ही भारत ने चार टेस्ट मैचों की सिरीज़ में 2-1 की अजेय बढ़त भी हासिल कर ली.

अब लाख टके का सवाल यह है कि क्या भारत गुरुवार से सिडनी में शुरू होने जा रहे चौथे और आख़िरी टेस्ट मैच को जीतकर या ड्रॉ कराकर पहली बार ऑस्ट्रेलिया में कोई टेस्ट सिरीज़ जीतने का सपना पूरा कर सकता है.

दरअसल, दोनों ही टीमों के खेल में निरंतरता की कमी रही है. पहला टेस्ट मैच भारत ने जीता तो वहीं दूसरे में ऑस्ट्रेलिया ने जीत दर्ज़ की और तीसरा टेस्ट मैच भारत ने अपने नाम कर सिरीज़ में बढ़त हासिल की.

तीन मैचों के इन परिणामों ने अभी तक इस सिरीज़ का रोमांच बरक़रार रखा है.

रोहित वापस लौटे

इसी बीच रोहित शर्मा वापस भारत लौट आए हैं क्योंकि वह पिता बन चुके हैं.

रोहित शर्मा की पत्नी रितिका ने बीते रविवार को बेटी को जन्म दिया. रोहित शर्मा अब आठ जनवरी को टीम से जुड़ेंगे.

सिडनी टेस्ट को लेकर क्रिकेट समीक्षक विजय लोकपल्ली का मानना है कि भारत का पलड़ा भारी है और साथ ही 2-1 की अजेय बढ़त भी. इसके अलावा और भी कई ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से भारत ही जीत की पहली पसंद है क्योंकि सिडनी में खेलते हुए टीम को लगता है कि जैसे वह घर में ही खेल रही है.

हालात भले ही भारत के अनुकूल नज़र आ रहे हों लेकिन कुछ सवाल अभी भी बरक़रार हैं. जैसे, अब रोहित शर्मा की जगह कौन टीम में होगा और सिडनी का विकेट कैसा होगा?

इसे लेकर विजय लोकपल्ली का मानना है कि अभी भी टीम में के.एल. राहुल को जगह मिल सकती है और वह मयंक अग्रवाल के साथ सलामी बल्लेबाज़ की भूमिका निभा सकते हैं. इसके अलावा पार्थिव पटेल से भी ओपनिंग कराई जा सकती है.

तेज़ विकेट पर खेल

जहां तक विकेट की बात है तो ऐसा सुना जा रहा है कि सिडनी में कुछ घास छोड़कर तेज़ विकेट बनाया जाएगा.

लेकिन अब तो भारत के पास भी जसप्रीत बुमराह जैसा बेहद ख़तरनाक गेंदबाज़ है.

इसके अलावा भारत के बल्लेबाज़ ऑस्ट्रेलिया के तेज़ गेंदबाज़ों का सामना करने में समर्थ है. अब तो अजिंक्य रहाणे भी फ़ॉर्म में हैं.

विराट कोहली भले ही मेलबर्न में दूसरी पारी में शून्य पर आउट हो गए लेकिन लगातार ऐसे आउट होना उनके स्वभाव में नहीं है.

वहीं, अगर स्पिनरों के लिए मददगार विकेट मिला तो भारत को और भी सुविधा होगी. हालाँकि फ़िटनेस की वजह से आर अश्विन सिडनी टेस्ट में भी नहीं खेल पाएँगे.

वहीं ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर नाथन लॉयन की बात करने पर विजय लोकपल्ली का मानना है कि वह निश्चित रूप से बेहद शानदार स्पिनर हैं और उनकी सबसे बड़ी ख़ूबी लगातार आक्रामक अंदाज़ में गेंदबाज़ी करना है

फ़ील्डिंग और बल्लेबाज़ी पर सवाल

क्या यह ऑस्ट्रेलिया की सबसे कमज़ोर फ़ील्डिंग वाली टीम है.

इसे लेकर विजय लोकपल्ली का मानना है कि यह ऑस्ट्रेलिया की अब तक की सबसे कमज़ोर फ़ील्डिंग ही नहीं सबसे कमज़ोर बल्लेबाज़ी वाली टीम भी है.

इस बात को तो भारत के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान इयान चैपल भी कह चुके हैं. ज़ाहिर है जब उनकी बैटिंग ख़राब चल रही है तो भारत के गेंदबाज़ तो कामयाब होंगे ही.

ऑस्ट्रेलिया के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज़ उस्मान ख़्वाजा हों या फिर एरोन फिंच, शॉन मार्श, कप्तान टिम पेन और ट्रेविस हेड यह सभी अच्छी शुरुआत को बड़े स्कोर में नहीं बदल पा रहे हैं.

तो ऐसे में सिडनी में भारत के आख़िरी 11 खिलाड़ी कौन से हों.

हालांकि, आजकल एक दिन पहले टीम की घोषणा का चलन शुरू हुआ है. इसके बावजूद पेपर पर लिखकर जिन 11 खिलाड़ियों के नाम दिए जाते हैं, उन्हें बाद में विकेट का मिज़ाज देखते हुए बदला भी जा सकता है.

सलामी जोड़ी का सिरदर्द

भारतीय खेमे के लिए इस सिरीज़ में सबसे बड़ा सिरदर्द उसकी सलामी जोड़ी रही है. शुरुआती दो मैचों में के.एल. राहुल और मुरली विजय की सलामी जोड़ी बुरी तरह असफल रही.

उनकी जगह तीसरे टेस्ट में मयंक अग्रवाल के साथ हनुमा विहारी को उतारा गया जिन्होंने कुछ बेहतर शुरुआत ज़रूर दिलाई.

हालांकि, हनुमा विहारी नियमित ओपनर नहीं हैं, इसलिए ओपनिंग की समस्या अभी भी टीम के लिए बनी हुई है.

इस पर विजय लोकपल्ली मानते हैं कि पुराने समय की तरह यह समस्या उभर आई है. अगर सलामी जोड़ी अच्छी शुरुआत देती है तो फिर टेस्ट मैच पर बहुत पहले से ही पकड़ बन जाएगी.

ख़ैर जो भी हो मैच में मिली जीत तमाम उठते सवालों को समाप्त कर देती है और एक हार कई सवाल खड़े भी करती है.

सिडनी में जीत के लिए भारत पहले से ही कमर कसे हुए है. विराट कोहली किसी भी क़ीमत पर ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सिरीज़ जीतने का मौक़ा गंवाना नही चाहते.

बस देखना इतना है कि क्या ऑस्ट्रेलिया पर्थ की तरह पलटवार करने में कामयाब तो नहीं हो जाएगी. जो भी हो सारे समीकरण फिलहाल तो भारत के पक्ष में ही हैं.

इन दिनों टेस्ट मैच के ड्रॉ होने का चलन समाप्त हो चुका है. सिडनी में सारा दबाव ऑस्ट्रेलिया पर ही होगा.

भारत ने ऑस्ट्रेलिया में पहली बार साल 1947-48 में कोई टेस्ट सिरीज़ खेली थी. तब से लेकर आज तक भारत कभी भी ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सिरीज़ नहीं जीत सका.

नए साल में विराट कोहली की टीम भारत को यह तोहफ़ा दे सकती है.