सोहराबुद्दीन शेख-तुलसीराम प्रजापति कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में आज (शुक्रवार को) 13 वर्ष बाद निर्णय आने की आसार है। साल 2005 के इस मामले में 22 लोग मुकदमे का सामना कर रहे हैं, जिनमें ज्यादातर पुलिसकर्मी हैं। यहां की एक विशेष CBI न्यायालय इस मामले की सुनवाई कर रही है।
इस मामले पर विशेष निगाह रही है, क्योंकि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह आरोपियों में शामिल थे। हालांकि, उन्हें 2014 में आरोप मुक्त कर दिया गया था। शाह इन घटनाओं के वक्त गुजरात के गृह मंत्री थे। मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के करीब 92 गवाह मुकर गए थे। इस महीने की शुरूआत में आखिरी दलीलें पूरी किए जाने के बाद CBI मामलों के विशेष न्यायाधीश एस जे शर्मा ने बोला था कि वह 21 दिसंबर को निर्णय सुनाएंगे। ज्यादातर आरोपी गुजरात व राजस्थान के कनिष्ठ स्तर के पुलिस ऑफिसर हैं।
अदालत ने CBI के आरोपपत्र में नामजद 38 लोगों में 16 को सबूत के अभाव में आरोपमुक्त कर दिया है। इनमें अमित शाह, राजस्थान के तत्कालीन गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख पी सी पांडे व गुजरात पुलिस के पूर्व वरिष्ठ ऑफिसर डीजी वंजारा शामिल हैं।
सीबीआई के मुताबिक, आतंकियों से संबंध रखने वाला कथित गैंगेस्टर शेख, उसकी पत्नी कौसर बी व उसके सहयोगी प्रजापति को गुजरात पुलिस ने एक बस से उस वक्त अगवा कर लिया था, जब वे लोग 22 व 23 नवंबर 2005 की दरम्यिानी रात हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे।
सीबीआई के मुताबिक, शेख की 26 नवंबर 2005 को अहमदाबाद के पास कथित फर्जी मुठभेड़ में मर्डर कर दी गई। उसकी पत्नी को तीन दिन बाद मार डाला गया व उसके मृत शरीरको ठिकाने लगा दिया गया। वर्ष भर बाद 27 दिसंबर 2006 को प्रजापति की गुजरात व राजस्थान पुलिस ने गुजरात-राजस्थान सीमा के पास चापरी में कथित फर्जी मुठभेड़ में गोली मार कर मर्डर कर दी।
इस बीच, बुधवार को अभियोजन के दो गवाहों ने न्यायालय से दरख्वास्त की कि उनसे फिर से पूछताछ की जाए। इनमें से एक का नाम आजम खान है व वह शेख का सहयोगी था।उसने अपनी याचिका में दावा किया है कि शेख पर कथित तौर पर गोली चलाने वाले आरोपी एवं पूर्व पुलिस इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान ने उसे धमकी दी थी कि यदि उसने मुंह खोला तो उसे झूठे मामले में फंसा दिया जाएगा। एक अन्य गवाह एक पेट्रोल पंप का मालिक महेंद्र जाला है। न्यायालय दोनों याचिकाओं पर शुक्रवार को निर्णय करेगी।