खाली कराने से जुड़ी याचिका पर जस्टिस सुनील गौर की पीठ के निर्णय से साफ होगा कि नेशनल हेराल्ड हाउस खाली होगा या फिर बना कब्जा रहेगा। दरअसल, एजेएल ने दिल्ली न्यायालय में याचिका दायर कर नेशनल हाउस हाउस की लीज रद्द करने के निर्णय को चुनौती दी है। इस मामले में न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद 22 नवंबर को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
इससे पहले केंद्र गवर्नमेंट की तरफ से पेश हुए तुषार मेहता ने बोला था कि भारतीय एक्सप्रेस बिल्डिंग से जुड़ा आदेश इस मामले में गलत तरीके से कोड किया गया है। पब्लिक प्रॉपर्टी को जिस वजह से दिया गया, वो हेराल्ड हाउस में कई बरसों से किया ही नहीं गया। ये कहना पूरी तरफ आए गलत है कि नेहरू की विरासत को समाप्त करने की प्रयास है। लीज रद्द करने से पहले कई बार नोटिस दिया गया।
हाईकोर्ट न्यायालय ने बोला था कि जब अभी हेराल्ड हाउस से अखबार चला रहे हैं तो क्या अभी भी बिल्डिंग वापस ली जा सकती है? तुषार मेहता ने बोला था कि उन्होंने अखबार जब शूरू किया तब हमने कारवाई करने का व लीज रद्द करने का निर्णय कर लिया। आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि एजेएल की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने बोला था कि दो ऑफिसर नेशनल हेराल्ड हाउस के परिसर में दाखिल हुए थे, जो कि नहीं होना चाहिए था। उन्होंने न्यायालय के सामने फोटोग्राफ भी पेश किए।
सिंघवी ने बोला था कि सभी प्रिंट व प्रेस का कार्य परिसर से हो, ऐसा महत्वपूर्ण नहीं है। एक नयी प्रिंटिंग प्रेस लगाई जा चुकी है। एजेएल अब भी परिसर का मालिक है व यंग इंडिया सिर्फ कंपनी में 98 फीसद की शेयरधारक थी।
यह है पूरा मामला
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने पटियाला हाउस न्यायालय में नेशनल हेराल्ड मामले में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी, सोनिया गांधी वअन्य पर आरोप लगाया था कि उन्होंने साजिश के तहत महज 50 लाख रुपये का भुगतान कर धोखाधड़ी की। जिसके जरिये यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 90.25 करोड़ रुपये की वह रकम वसूलने का अधिकार हासिल कर लिया, जिसे एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड को कांग्रेस पार्टी को देना था।
इस मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा व यंग इंडिया कंपनी आरोपी हैं। फिल्हाल सभी आरोपी जमानत पर हैं। इस मामले में शिकायतकर्ता के बयान दर्ज हो चुके हैं।