शरीर में होने वाले हर प्रकार के दर्द से निजात दिलाएगा यह प्राणायाम

बात बच्चों की हो या बड़ों की हर किसी को कभी न कभी कान में दर्द या कम सुनाई देने की समस्या आमतौर पर होती है. कुछ प्राणायाम ( Pranayama ) ऐसे हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कान के पर्दे और झिल्ली पर प्रभाव कर उसकी सफाई करते हैं  सुनने की क्षमता को सुधारते हैं.

कर्ण शक्ति विकासक
इसे एक तरह से यौगिक सूक्ष्म क्रिया के तहत करते हैं. जिससे केवल कान ही नहीं बल्कि आंख, नाक, गले आदि की मांसपेशियों पर भी प्रभाव होता है. हृदयरोगी, ब्लड प्रेशर  जिन्हें चक्कर आते हैं उन्हें इसे करने से बचना चाहिए. वर्ना सांस रोकने के दौरान समस्या हो सकती है.

ऐसे करें :
आमतौर पर प्राणायाम को खड़े होकर करते हैं लेकिन यदि आदमी को खड़े रहने में परेशानी महसूस हो तो वह बैठकर भी क्रियाओं को कर सकता है. इसके लिए सीधे खड़े होकर अंगूठे से कान बंद करें. फिर तर्जनी अंगुली को आंख, मध्यमा को नाक, अनामिका  कनिष्ठा को होंठ के ऊपर-नीचे रखें. अब मुंह पक्षी की चोंच की तरह बनाएं  ज्यादा से ज्यादा हवा अंदर लें. इस दौरान गाल फूल जाएंगे  कान के पर्दे पर प्रभाव महसूस होगा. अब ठुड्डी को नीचे गले पर लगाएं  क्षमतानुसार सांस रोककर रखें. इससे कान से जुड़ी नसें सक्रिय होती हैं.इसके बाद गर्दन सीधी कर नाक से सांस छोड़ें. एक समय में ऐसा 5-10 बार कर सकते हैं.

भ्रामरी प्राणायाम ( Bhramari pranayama )
इसे करने के दौरान कान पर पड़ने वाले दबाव से कान से जुड़े रोगों की संभावना कम होती है. दिमाग की नसों को आराम मिलने से एकाग्रक्षमता बढ़ती है. घुटने या कंधे में कोई कठिनाई हो तो इसे न करें.

ऐसे करें : शांत और शुद्ध हवा वाले वातावरण में आंख बंद कर बैठेंं. कान  गाल की स्कीन के बीच एक छोटी हड्डी होती है जिसपर तर्जनी अंगुली रखें. लंबी और गहरी सांस लें. सांस छोड़ते हुए हड्डी को धीरे से दबाएं. चाहें तो हड्डी को दबाए रखने या बार-बार दबाने और छोडऩे की क्रिया कर सकते हैं. इस दौरान मधुमक्खी जैसी आवाज निकालें. आवाज धीमी या तेज रखें. एक समय में ऐसा ५-६ बार कर सकते हैं.

सूत्रनेति / जलनेति ( jala & sutra neti yoga )
कई बार लंबे समय तक होने वाले जुकाम से भी कान संबंधी तकलीफ होती है. जैसे नजला, नाक का जाम होना या अधिक बहना. इनसे कान की मांसपेशियां भी प्रभावित होती हैं. ऐसे में नाक की सफाई महत्वपूर्ण है, जिसके लिए जलनेति या सूत्रनेति मददगार है. नाक में इंफेक्शन या हाई ब्लड प्रेशर में न करें.

ऐसे करें:
सूत्रनेति ( sutra neti ) में एक सूती कपड़े से तैयार पतली रस्सी को पहले नाक के दाएं नथुने से धीरे-धीरे अंदर डालकर सांस अंदर खींचें. इस धागे को मुंह से बाहर निकालकर बाएं नथुने से भी दोहराएं. दोनों नथुनों से ऐसा 10-20 बार करें.

जलनेति ( jal neti ) में नमक मिले गुनगुने पानी को रामझरे में भर लें. इसे ऊपर रख इसके मुंह को पहले नाक के दाएं नथुने पर लगाकर धीरे-धीरे पानी नाक में डालें. बाएं नथुने से बाहर निकालें. इस दौरान मुंह खोलकर रखें. नाक से ही सांस लें  छोड़ें.