लोकसभा चुनाव 2019 के लिए समाजवादी पार्टी व के बीच शनिवार को सामने आया सीट बंटवारे का फॉर्मूला पहले ही तैयार कर लिया गया था। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि पहले भी नहीं की गई थी, व अब भी दोनों पार्टियां इसकी घोषणा करने से अभी बच रही हैं। सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को दिल्ली में हुई के बीच मीटिंग में को लेकर नया फॉर्मूला तैयार कर लिया गया है। सूत्रों के अनुसार सपा व बीएसपी उत्तर प्रदेश की 37-37 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। अन्य सीटों को कांग्रेस, राष्ट्रीय लोक दल व अन्य छोटी पार्टियों के लिए छोड़ा जाएगा।
साथ ही दोनों के बीच इस बात पर भी सहमति बनी है कि लेकिन दोनों दलों ने इस पर भी सहमति जताई है कि कांग्रेस पार्टी को दो लोकसभा सीटों पर राहत दी जाएगी। यानी कि कांग्रेस पार्टी का गढ़ कही जाने वाली दो सीटों अमेठी व रायबरेली में सपा-बसपा अपने-अपने प्रत्याशी नहीं उतारेगी। वहीं सपा-बसपा ने राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) को करीब 2 सीटें देने का निर्णय लिया है।
बता दें कि इससे पहले पिछले वर्ष नवंबर में पांच राज्यों विधानसभा चुनाव के समय भी ऐसी ही खबरें सूत्रों के अनुसार आई थीं। इन चुनावों के नतीजे आने से पहले ही लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर यूपी में साझेदारी की तस्वीर लगभग साफ हो चुकी थी। तब भी बोला जा रहा था कि सपा व बीएसपी के बीच सबकुछ फाइनल हो चुका है। सीटों को लेकर बात फाइनल हो चुकी थी। रिपोर्ट की मानें तो सपा-बसपा ने उस समय ही अपने साझेदारी फॉर्मूले से कांग्रेस पार्टी को अलग कर दिया था
इस साझेदारी में राष्ट्रीय लोकदल (RLD) को भी शामिल किया गया था। हालांकि ऐसी भी चर्चा थी कि सुहेलदेव इंडियन समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर भाजपा का दामन छोड़कर इस साझेदारी में शामिल हो सकते हैं। मौजूदा समय में राजभर योगी गवर्नमेंट में कैबिनेट मंत्री हैं, लेकिन वे लगातार अपनी ही गवर्नमेंट को निशाने पर लेते रहे हैं।
नवंबर में सामने आई रिपोर्ट में यह बात साफ हो चुकी थी कि साझेदारी में बीएसपी को तवज्जो दी जा रही है। यह भी उम्मीद जताई गई थी कि बीएसपी को 35 से 40 सीटें मिल सकती हैं। साथ ही RLD को भी 3 से 4 सीटें मिलने की आसार जताई गई थी। अगर, राजभर भी साझेदारी का भाग बनते हैं तो उनके खाते में 2-3 सीटें आ सकती हैं। अन्य सभी सीटें समाजवादी पार्टी के खाते में आएंगी।
सूत्रों के हवाले से पिछले वर्ष नवंबर में ही यह साफ हो गया था कि भले ही कांग्रेस पार्टी इस साझेदारी में शामिल नहीं है, लेकिन अमेठी व रायबरेली से साझेदारी अपना प्रत्याशी नहीं खड़ा करेगा। ये दोनों सीटें राहुल गांधी व सोनिया गांधी की परंपरागत सीटें हैं।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी व सपा में साझेदारी नहीं होने को लेकर पिछले दिनों अखिलेश यादव ने खुलकर बयान दिया था। उन्होंने बोला था कि कांग्रेस पार्टी नहीं चाहती थी कि इस साझेदारी में बीएसपी शामिल हो, इसलिए साझेदारी कोई रूप नहीं ले पाया। सपा किसी भी सूरत में मायावती को नाराज नहीं करना चाहती है। इसलिए, सपा व कांग्रेस पार्टी का भी साझेदारी नहीं हो पाया।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कांग्रेस पार्टी नेतृत्व को लेकर यह भी बोला था कि उत्तर प्रदेश में हमारा साझेदारी भाजपा के विरूद्ध है। भाजपा को अगर सत्ता से हटाना है तो हमें एकजुट होने की आवश्यकता है। इसी दौरान उन्होंने बोला था कि, कांग्रेस पार्टी गैर भाजपा दलों को एकजुट करने में नाकामयाब रही है क्योंकि वह काफी एरोगेंट है। अखिलेश यादव ने परोक्ष रूप से बोला था कि हम तो साझेदारी के लिए तैयार थे, लेकिन कांग्रेस पार्टी से हाथ मिलाने के लिए तैयार नहीं थी।