‘लव कमांडो’ के शेल्टर में कैद थे लव बर्ड्स की हैरान करने वाली कहानी

ऑनर किलिंग का डर और सुरक्षा देने वाले लव कमांडो पर भरोसा करना कई प्रेमी जोड़ों की जिंदगी को नरक बनाकर रख दिया। अपने मां-बाप के डर से दिल्ली के शेल्टर होम में पनाह लेने वाले इन जोड़ों ने जो कहानी बयां की है, उससे सुनकर रूह कांप जाएगी।


जोड़ों की कहानी हैरान करने वाली
दिल्ली के पहाडग़ंज शेल्टर होम से दिल्ली महिला आयोग द्वारा छुड़ाए गए चार जोड़ों ने लव कमांडो की जो कहानी सुनाई वह हैरान करने वाली है। उन्होंने बताया के लव कमांडोज उसके साथ मारपीट करते थे। गालियां देना, जबरन शराब पिलाना और लड़कियों के साथ बदसलूकी आम बात थी। इसके अलावा ये कमांडोज जोड़ों के कागजात जब्त कर लेते थे। लव कमांडो पर जोड़ों को धमकाने और उगाही का भी आरोप है।

दिल्ली महिला आयोग ने शेल्टर होम का दौरा किया
28 जनवरी को एक लड़की से गंभीर शिकायत मिलने के बाद दिल्ली महिला आयोग की मेंबर किरण नेगी ने अपनी टीम के साथ मंगलवार रात को लव कमांडो के पहाडग़ंज के शेल्टर होम का दौरा किया और शिकायतकर्ता को तुरंत दूसरे शेल्टर होम में पहुंचाया। इसके अगले दिन 29 जनवरी को आयोग की चीफ स्वाति जय हिंद की अगुवाई में एक टीम इस शेल्टर होम अचानक पहुंची। स्वाति का कहना है कि यहां रहनेवाले जोड़ों के आरोपों को सुनकर हम सकते में आ गए। जांच में पाया गया कि एनजीओ के मालिक कपल्स को शेल्टर देने के नाम पर उनसे गैरकानूनी तरीके से उगाही कर रहे थे और उन्हें कैद किया हुआ था।
शेल्टर होम में चार जोड़े थे
आयोग का कहना है कि शेल्टर होम में चार जोड़े रह रहे थे, जिन्होंने अपने घरवालों की मर्जी के खिलाफ दूसरी जाति या धर्म में शादी की थी। स्वाति का कहना है कि इन्होंने बताया कि एनजीओ का मालिक अक्सर शराब पीकर आता था, लड़कियों से गलत बर्ताव करता था और लड़कों को जबर्दस्ती शराब पिलाता था। इन्हें बंद करके रखा गया था और फीस के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती थी। अगर कोई बीमार होता था तो स्टाफ डॉक्टर के पास नहीं ले जाता था। यह भी आरोप है कि शेल्टर होम में कोई भी महिला कर्मचारी नहीं थी और लड़कियों के पर्सनल सामान, उनके अंडरगारमेंट्स तक की जांच पुरुष कर्मचारी करते थे।
जोड़ों ने सुनाई, दर्द की दास्तां
होम में दो छोटे कमरे थे, जिनमें सभी लोग रहते थे और लड़कियों का कमरा एनजीओ के मालिक के कमरे से जुड़ा हुआ था। आयोग का कहना है कि लड़कियों ने बताया कि उनको बाथरूम और किचन में जाने के लिए एनजीओ मालिक के कमरे में से होकर जाना पड़ता था। कपल्स ने बताया कि वहां रहनेवालों को शेल्टर होम के सारे काम करने पड़ते थे। जैसे साफ-सफाई, खाना बनाना। स्टाफ के पैर तक दबाने पड़ते थे। आयोग का कहना है कि एक लड़की ने बताया कि अगर उसके माता-पिता पैसे भेजते थे तो पैसे मालिक रख लेता था और उनको बहुत कम पैसे दिए जाते थे। साथ ही, वहां रहने वाले कपल्स का कोई रेकॉर्ड नहीं था।

स्वाति ने कहा, ऑनर किलिंग के डर से लड़के-लड़कियों को बहुत तकलीफों से गुजरना पड़ता है। यह बहुत ही दुखद और शर्मिंदगी की बात है कि एनजीओ इन युवा लोगों की सहायता के नाम पर उनका शोषण कर रहा था और उनसे वसूली कर रहा था। स्वाति ने मंगलवार को सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी एम एस रंधावा से संपर्क किया, जिन्होंने तुरंत एक पुलिस टीम मौके पर भेजी और सभी को छुड़वाया गया। आयोग ने बताया कि सभी की उम्र 25 साल से कम थी।