सोनिया गांधी ने आगे कहा कि तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा देने वाले फैसले के दौरान उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। “यह कोई आसान निर्णय नहीं था, क्योंकि मुझे आंध्र और तेलंगाना दोनों क्षेत्रों के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखना था। लेकिन, तेलंगाना के लोगों के आंदोलनों को देखते हुए और उनकी आकांक्षाओं को समझते हुए, मैंने तेलंगाना राज्य बनाने का फैसला किया।
सोनिया ने इस फैसले का सहयोग करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह और राहुल गांधी समेत मेरे अन्य सहयोगियों को धन्यवाद कहा”। उन्होंने लोगों को याद दिलाया कि कांग्रेस को तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा देने के फैसले पर भारी कीमत चुकानी पड़ी थी। “राजनीतिक रूप से यह पार्टी के लिए एक बड़ा नुकसान था। फिर भी हमने तेलंगाना के लोगों के बड़े हितों में फैसला लिया”।
सोनिया ने आगे कहा कि जिस समय आंध्र प्रदेश के बंटवारे का बिल संसद में लाया गया उस वक्त आंध्र के लोग बहुत गुस्से में थे। तब हमने लोगों से वादा किया था कि हम आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देंगे। हम अभी भी अपने वादे पर हैं अगर केंद्र में कांग्रेस आती है तो ये वादा पूरा किया जाएगा। गांधी ने आगे कहा राज्य को बने हुए साढ़े चार साल हो गए हैं। एक मां चाहती है कि उसके बच्चे मजबूत हों और उनका भविष्य उज्जवल हो पर मैं देख रही हूं कि यहां के लोग आज भी विकास, रोजगार, पानी सप्लाई और नौकरियों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।