मोदी सरकार अब अखिलेश यादव पर करेगी ये बड़ी कारवाही, जानिए कैसे…

करप्शन के विरूद्ध मुहिम छेडऩे वाली नरेंद्र नरेन्द्र मोदी सरकार के आदेश पर सीबीआइ ने चीनी मिल घोटाले में छापेमारी के बाद कल समाजवादी पार्टी के शासनकाल में हुए करोड़ों के खनन घोटाले में कार्रवाई प्रारम्भ की है. इस कार्रवाई से यूपी के आला अफसरों में हड़कंप मच गई.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर लंबे समय से खनन घोटाले की कडिय़ां खंगाल रही सीबीआइ ने पहली बार समाजवादी पार्टी सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति पर शिकंजा कसा है. आइएएस ऑफिसर बी चंद्रकला के बाद सूबे के पांच  आइएएस के नाम भी खनन घोटाले के केस का भाग बन चुके हैं. सीबीआइ जिस तेजी से खनन की काली कमाई की कडिय़ां खंगाल रही है, उससे जल्द पूर्व सीएम अखिलेश यादव की मुश्किलें भी बढ़ती नजर आ रही हैं.

उल्लेखनीय है कि अखिलेश यादव ने अपनी ही सरकार में ई-टेंडर की नीति लागू कराई थी. इस मुद्दे में जाँच एजेंसी की पड़ताल में यह भी सामने आया था कि अखिलेश यादव ने खुद खनन मंत्री के रूप में 14 पट्टों के आवंटन को स्वीकृति दी थी, जिनमें 13 पट्टों का आवंटन एक ही दिन में हुआ था. अखिलेश यादव के बाद खनन मंत्री बने गायत्री प्रसाद प्रजापति ने आठ पट्टों के आवंटन को स्वीकृति दी थी. पूर्व मंत्री गायत्री वर्तमान में बलात्कार के मुद्दे में कारागार में हैं.

सीबीआइ ने खनन घोटाले में पहला केस इस साल की आरंभ में ही दो जनवरी को 2008 बैच की आइएएस ऑफिसर बी चंद्रकला और समाजवादी पार्टी से एमएलसी रमेश मिश्रा समेत 11 नामजद आरोपितों के विरूद्ध दर्ज किया था. इसके बाद बी चद्रकला समेत अन्य आरोपितों के ठिकानों पर छापेमारी हुई थी.

जाँच एजेंसी ने छापेमारी में हाथ लगे दस्तावेजों के जरिये अपनी पड़ताल को बढ़ाया. अब सीबीआइ ने दो  केस दर्ज किये हैं, जिनमें पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के अतिरिक्त आइएसस ऑफिसर अभय सिंह, संतोष कुमार, विवेक, देवी शरण उपाध्याय और जीवेश नंदन भी नामजद आरोपित हैं.

सीबीआइ ने पूर्व में सपा सरकार के शुरुआती दौर में खनन विभाग के सचिव रहे जीवेश नंदन से पूछताछ भी की थी. सारे मुद्दे में खनन विभाग के कई अधिकारियों पर भी जाँच एजेंसी का शिकंजा कसेगा. दस्तावेजों में नियमों को दरकिनार कर किये गये खेल की परतें खुलती जा रही हैं.

भ्रष्टाचार विरोधी एजेंडे पर लगेंगी एजेंसियां

‘न गुंडाराज-न भ्रष्टाचार–अबकी बार बीजेपी सरकार’ का नारा देकर यूपी में प्रचंड बहुमत की सरकार बनाने वाली   बीजेपी अपने नारे पर केंद्रित हो गई है. करप्शन के विरूद्ध जहां केन्द्रकी सीबीआइ  प्रवर्तन निदेशालय जैसी संस्थाओं के चाबुक चल रहे हैं वहीं प्रदेश की सतर्कता अधिष्ठान, ईओडब्ल्यू  एसआइटी जैसी जाँच एजेंसियों को भी सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुली छूट दी है.

योगी आदित्यनाथ ने कठोर संदेश दिया है कि करप्शन के सभी लंबित मामलों की जाँच  मुकदमा चलाने में तेजी लाई जाए. करप्शन के विरूद्ध पीएमनरेंद्र मोदी ने मुहिम प्रारम्भ की है. प्रदेश की बीजेपी सरकार के करीब ढाई साल होने को हैं  अब 2022 में फिर अगले विधानसभा चुनाव की चुनौती भी खड़ी है. सीएम जल्द ही प्रदेश की सभी जाँच एजेंसियों के प्रमुखों के साथ मीटिंग करेंगे. वह इस सिलसिले में पहले भी मीटिंग कर चुके हैं. चीनी मिलों की बिक्री, गोमती रिवर फ्रंट घोटाला, भर्ती इम्तिहान समेत पिछली सरकारों में हुए कई भ्रष्टाचारों की जाँच सीबीआइ कर रही है लेकिन, अभी कई घोटालों की जाँच प्रदेश सरकार के पास है.

सतर्कता अधिष्ठानबसपा शासन में स्मारक घोटाले की जाँच एक जनवरी, 2014 से ही कर रहा है. अभी तक यह जाँच किसी नतीजे पर नहीं है. स्मारक घोटाले की फाइलें फिर से खुलेंगी. सतर्कता अधिष्ठान में भ्रष्ट अफसरों से लेकर आय से अधिक संपत्ति समेत करीब 400 मुद्दे लंबित हैं. इनमें अभियोजन की स्वीकृति के लिए विधिक परामर्श भी तेजी से लिये जा रहे हैं. इसी तरह ईओडब्ल्यू को भी करप्शन के मामलों में अभियोजन की अनुमति दी जा रही है. ईओडब्ल्यू ने भी करीब डेढ़ सौ मामलों में अभियोजन की स्वीकृति मांगी है.तत्कालीन कृषि उत्पादन आयुक्त डा प्रभात कुमार ने करप्शन के कई मामलों की जाँच की  अफसरों को दोषी पाया. उन अफसरों को वृहद दंड देने के लिए भी प्रक्रिया प्रारम्भ की गई है.

सहकारी संस्थाओं में भर्ती की जाँच पर नजर

समाजवादी पार्टी सरकार में यूपी कोआपरेटिव बैंक, प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक समेत कई सहकारी संस्थाओं में हुई भर्तियों की जाँच एसआइटी को दी गई है. इस मुद्दे में सहकारिता के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है लेकिन, अभी एसआइटी अपनी जाँच में किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. इस पर भी सीएम ऑफिस की नजर है.

ढाई साल में हुई गड़बडिय़ों की जाँच में भी आयेगी तेजी

सीएम योगी आदित्यनाथ ने भर्ती परीक्षाओं में हुई गड़बड़ी से लेकर पिकप भवन अग्निकांड को गंभीरता से लिया है.  ढाई साल के भीतर हुई सभी गड़बडिय़ों की जाँच किसी न किसी एजेंसी को दी गई है. अब इन जांचों में भी तेजी आएगी. योगी ने इन जांचों की मानीटरिंग के लिए अपने ऑफिस को विशेष रूप से हिदायत दी है.