महाराष्ट्र में किसान आंदोलन खत्म, अपने अपने घरों को लौट रहे किसान

मुंबई में आंदोलन करने पहुंचे 10,000 किसान अब अपने अपने घरों को लौट रहे हैं. महाराष्ट्र सरकार ने किसानों की मांग मान ली है. सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि आदिवासी किसानों की मांगों पर लिखित भरोसा दिया गया है. वहीं लोक संघर्ष मोर्चा की महासचिव प्रतिभा शिंदे ने कहा कि सरकार 3 महीने में सभी मांग पूरी करेगी. वहीं पिछले मोर्चे के दौरान जो मांगें थी उन मांगों पर भी काम लगभग पूरा हो चुका है. आदिवासी किसानों की सभी मांगों को मान्य कर लिया गया है.

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ये जानकारी भी सामने आई है कि जंगल की जमीन आदिवासियों को देने के मामले में 80 फ़ीसदी दावे सरकार ने नकार दिए थे लेकिन इस पर फिर से विचार करेगी. आदिवासी और गैर आदिवासियों को तीन पीढ़ियों के निवास के दस्तावेज जमा करने की शर्त रद्द करने की सिफारिश केंद्र से की जाएगी.

वन जमीन के सभी दावेदारों के नाम एक ही दस्तावेज पर ना होकर सभी दावेदारों को अलग अलग दस्तावेज दिए जाएंगे. आदिवासियों की जमीन के किसानों को सूखे में मिलने वाली सभी सहूलियत मिलेंगी. आदिवासियों की खेती के लिए सरकार अनुदान भी देगी.

गढ़चिरौली और चंद्रपुर जिले के 50 गांव में 25 से 30,000 बंगाली शरणार्थी हैं. जिस तरह से सिंधी शरणार्थियों को पुनर्वासन किया गया उसी प्रकार से बंगाली शरणार्थियों का भी उसी नियम के अनुसार पुनर्वसन किया जाएगा. आदिवासियों की जमीन के किसानों को सूखाग्रस्त लोगों को मिलने वाली सभी सहूलियत उपलब्ध कराने पर सरकार फैसला लेगी. आदिवासियों की खेती के लिए सरकार द्वारा अनुदान पर फैसला लिया गया है.

महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार के खिलाफ कल किसानों ने हल्ला बोला था. किसानों ने कल मुंबई के आजाद मैदान में इकट्ठा होकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. किसानों की मांग थी कि आदिवासियों की जमीन के मसले को सुलझाया जाएं. साथ ही लोड शेडिंग की समस्या, वनाधिकार कानून, सूखे से राहत, न्यूनतन समर्थन मूल्य, स्वामीनाथ रिपोर्ट को जल्द से जल्द लागू किया जाए.