आज देश में कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली का जश्न

देश भर में आज गुरू नानक जयंती बड़े धूम-धाम से मनाया जा रहा है. यह पर्व सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरू गुरू नानक के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है. गुरू नानक जयंती को लोग प्रकाश पर्व के रूप में भी मनाते हैं. इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्‍द और पीएम मोदी ने देशवासियों को बधाई दी. अपने संदेश में राष्ट्रपति ने कहा कि सभी देशवासियों, विशेषकर भारत और विदेश में हमारे सिख भाइयों और बहनों को गुरुपर्व की बधाई.

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राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ”सभी देशवासियों, विशेषकर भारत और विदेश में हमारे सिख भाइयों और बहनों को गुरुपर्व की बधाई. गुरु नानक देव के जीवन और शिक्षाओं से हमें शांति, करुणा और सेवा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है.”इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर बधाई दी. उन्होंने कहा, ”श्री गुरू नानक देव जी हमें सत्य, धार्मिकता और करुणा के मार्ग पर चलना सिखाया. वह समाज से अन्याय और असमानता को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध थे. उनके जयंती पर हमें उनके प्रेरणादायक विचारों को याद करते हुए आगे बढ़ना चाहिए.” इस पर्व को कार्तिक पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.

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वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ”आप सभी को गुरुपर्व की हार्दिक शुभकामनाएं. गुरु नानक देव जी की पवित्र शिक्षाओं से हमारे जीवन में ज्ञान, करुणा और शांति का प्रवाह हो, मेरी यह कामना है.”

इससे पहले मोदी कैबिनेट ने गुरुवार को सिख समुदाय के लिए बड़ी खुशखबरी देते हुए कहा था कि वह करतारपुर गलियारे (कॉरिडोर) के विकास के लिए पाकिस्तान सरकार से आग्रह करेगी.

मोदी सरकार के इस फैसले से पहले नवजोत सिंह सिद्धू ने इस गलियारे को खोलने की मांग की थी. सिद्धू पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में गए थे और वहां इस गलियारे को खोलने के लिए बात की थी.

वहीं हिंदू धर्म के लोग आज कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली के रूप में मनाते हैं. हिंदू धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व माना जाता है. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर स्नान करने के बाद लोग अन्न दान करते हैं. भारी संख्या में लोग नदियों में डुबकी लगाते हैं. नदियों के किनारे भारी संख्या में भीड़ देखा जा रहा है.

देव दिवाली को लेकर कहा जाता है कि इस दिन देवता दीपदान करते हैं. आज के दिन नदियों के घाटों को सजाया जाता है और शाम में दीप जलाया जाता है. देवउठनी एकादशी के चार माह बाद भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं. इस खुशी में सभी देवता स्वर्ग से आ कर काशी के घाटों पर दिवाली मनाते हैं.