ममता व उनकी सरकार को नुकसान पहुंचाना चाहती भाजपा

पूर्वोत्तर भारत का चर्चित सारदा चिटफंड व रोजवैली घोटाला लगभग 40,000 करोड़ रुपये का है। इसमें जमा रकम से 34 गुना अधिक पैसा वापस करने का लाली पाप देकर पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम के लगभग 10 लाख लोगों से पैसे लिए गए थे। लेकिन जैसा कि ज्यादातर चिटफंड कम्पनियों में चीट करने का मामला होता है, उसी तरह से इसमें भी हुआ। उपरोक्त तीनों राज्यों के बहुत से नेताओं, पत्रकारों आदि को चिटफंड कम्पनी द्वारा घूस देने, अन्य तरह से सेवा करने, लाभ देने के आरोप लगे हैं। इस घोटाले में बहुत से लोग जब सर्वोच्च न्यायालय गए तो 2014 में न्यायालय ने मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया।

जहां तक 2016 में कोलकाता के पुलिस आयुक्त बनाए गए उ.प्र. के 1989 बैच के आईपीएस अफसर राजीव कुमार का सवाल है, तो वह 2013 में सारदा और रोज वैली चिटफंड घोटाले की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी के प्रमुख रहे। भाजपा ने राजीव कुमार पर जांच की गति धीमी करने, सूबतों से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है। उधर, भाजपा विरोधी दलों का कहना है कि ममता सरकार के काबिल अफसरों में से एक होने और ममता के विश्वासपात्र पुलिस अफसर होने के कारण भाजपा व उसकी केन्द्र सरकार उनको ट्रेप में लेकर ममता व उनकी सरकार को नुकसान पहुंचाना चाहती है। सो उनको सीबीआई की मार्फत लपेटने के लिए तरह-तरह के उपक्रम कर रही है। यह आरोप लगा रही है कि वह सीबीआई को पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं।

इस आधार पर उनको गिरफ्तार करवाना चाहती है। लेकिन जिस तरह से छुट्टी के दिन रविवार 3 फरवरी को सीबीआई वाले कोलकाता पुलिस आयुक्त के यहां पूछताछ करने, छापा मारने और पूछताछ में सहयोग नहीं करने के बहाने गिरफ्तार करने की तैयारी से गये थे वह सफल नहीं होने और लिखित सूचना के बिना वहां इस तरह आने के चलते स्थानीय पुलिस द्वारा रोकने, थाने में ले जाने की घटना हुई| उसे केन्द्र सरकार व सीबीआई ने अपने अधिकार में हस्तक्षेप करने का मुद्दा बनाकर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी है। एक अन्य याचिका में सीबीआई ने प.बंगाल के सेक्रेटरी, डीजी पुलिस तथा कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के विरूद्ध अवमानना की अर्जी लगाई है। सर्वोच्च न्यायालय में दायर एक अन्य याचिका में कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को जांच में शामिल होने के निर्देश की मांग की गई है।

इस बारे में तृणमूल सांसद डेरेन ओ ब्रायन का कहना है कि भाजपानीत केन्द्र सरकार सीबीआई के मार्फत कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को फंसाना चाहती है। लेकिन उन तमाम लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है जिन पर इस घोटाले के आरोप हैं और वे भाजपा में विभिन्न पदों पर हैं, मंत्री हैं, पदाधिकारी हैं। इस बारे में तृणमूल सांसद का कहना है कि कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार ने सीबीआई को एक – दो नहीं, 4 पत्र लिखकर कहा है कि किस दिन पूछताछ के लिए आना है, बताया जाए। लेकिन उनके किसी भी पत्र का जवाब नहीं देकर, बिना राज्य सरकार को सूचित किये, छुट्टी के दिन रविवार 3 फरवरी 2019 को उनके आवास पर सीबीआई के 40 अफसर व कर्मचारी पूछताछ के लिए पहुंच जाते हैं। भाजपा कह रही है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर यह जांच हो रही है।

सर्वोच्च न्यायालय के वकील विनयप्रीत सिंह का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में यह जांच नहीं हो रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया था। यह आदेश दिये कई वर्ष हो गए। लोकसभा चुनाव सिर पर आने पर सीबीआई इतनी तेजी क्यों दिखाने लगी, उसके पहले क्यों सोई रही, वह अब कोलकाता पुलिस आयुक्त की गिरफ्तारी की कोशिश क्यों करने लगी। वह भी बिना राज्य सरकार को छापे या पूछताछ करने की सूचना दिये बिना क्यों करने लगी। इससे तो साफ संकेत जा रहा है कि यह राजनीतिक एजेंडे के तहत किया जा रहा है।

सो, यह मामला कानूनी व नियमपालन के बजाय राजनीतिक व सीबीआई के दुरूपयोग का बन गया है। इस बारे में तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि ममता स्ट्रीट फाइटर हैं और भाजपा ने सीबीआई को माध्यम बनाकर उनको उनके अखाड़े में उन्हीं के तरीके से केन्द्रीय जांच एजेंसियों के सहारे हराने की कोशिश कर गलती कर दी है। यह भाजपा को भारी पड़ सकता है। इस बारे में प.बंगाल भाजपा के पदाधिकारी आशीष सरकार का कहना है कि ममता की हर चाल की काट के लिए भाजपा के सभी बड़े नेता पश्चिम बंगाल को लक्ष्य बना लिये हैं। प्रधानमंत्री, भाजपा अध्यक्ष, उ.प्र. के मुख्यमंत्री का लगातार पश्चिम बंगाल का दौरा, रैली इसी के मद्देनजर हो रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा हर हालत में तृणमूल से अधिक सीटें जीतेगी।