ममता ने समर्थन देने वाले दलों को को किया ये इशारा,  जानिए अब होगा ये…

पश्चिम बंगाल की चुनावी गरमाहट ने बीजेपी विरोधी दलों को आखिरी चरण के चुनाव के अच्छा पहले लामबंद होने का मौका दिया है. ममता का साथ देने के लिए कांग्रेस, बसपा, सपा, आम आदमी पार्टी सहित सामने आए कई दलों की जुगलबंदी का आखिरी चरण के वोटिंग पैटर्न पर प्रभाव पड़ने की आसार जताई जा रही है. इसे चुनाव बाद की संभावित एकता से भी जोड़कर देखा जा रहा है. ममता ने भी समर्थन देने वाले दलों को शुक्रिया कहकर इशारा दे दिया है कि चुनाव की गरमाहट का प्रभाव लंबा रहेगा.

ममता बन पाएंगी विपक्षी एकता की धुरी?: राजनीतिक जानकारों का बोलना है कि बंगाल में बीजेपी  तृणमूल कांग्रेस पार्टी के बीच पैदा हुई तल्खी ने आखिरी चरण के चुनाव में ममता को बीजेपी विरोधी खेमे में सहानुभूति मिली है.
अगर ममता ने यहां अपना दांव बरकरार रखा  बीजेपी को अपने गढ़ में सेंध लगाने से रोक पाईं तो विपक्षी खेमे में वह बड़ी नेता के रूप में उभरेंगी. साथ ही विपक्षी एकता की धुरी भी बंगाल साबित हो  सकता है.

भाजपा दे रही टक्कर
आखिरी चरण में आठ राज्यों की 59 सीटों पर चुनाव होना है. इनमें बंगाल की नौ सीटें हैं. बंगाल की जिन नौ सीटों पर चुनाव हो रहा है उनपर पिछले चुनाव में तृणमूल कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा है. लेकिन कोलकाता की दो सीटें ऐसी हैं जहां बीजेपी 2014 के चुनाव में दूसरे नंबर पर रही थी.

यहां है बड़ी चुनौती
पिछले चुनाव में कोलकता नॉर्थ  कोलकाता साउथ पर बीजेपी दूसरे नंबर पर रही थी. साउथ कोलकाता में टीएमसी को 20.24 प्रतिशत वोट का नुकसान हुआ था  बीजेपी के खाते में 21.33 प्रतिशत वोट बढ़े थे. इसी तरह नॉर्थ कोलकाता में टीएमसी का वोट फीसदी गिर गया था.

दीदी की प्रतिष्ठा दांव पर
आखिरी चरण में जादवपुर सीट भी है. ममता ने यहीं से सियासी पारी प्रारम्भ की थी. 1984 में ममता ने यहां पर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी को हराया था. इसके साथ ही डायमंड हार्बर सीट पर भी ममता की प्रतिष्ठा दांव पर है, जहां से उनका भतीजा अभिषेक सांसद है.