भूख सहन नहीं हुई तो इस बच्चें ने खा लिया जहर

यह दर्द भरी दास्तां है मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के आदिवासी इलाके के एक बच्चे की। तंगहाली में इस ​कदर जिंदगी बीत रही थी कि दो जून की रोटी भी नसीब नहीं हो पा रही थी। नतीजा भूख सहन नहीं हुई और इस बच्चे ने भूख से मरने की बजाय जहर खाकर मरने का प्रयास कर डाला।

बच्चे ने चिकित्सकों व परिजनों को पूछताछ में बताया कि ग्राम अंबा पाड़ा की राशन दुकान से राशन लेने कई दिनों से जा रहा था, किंतु दुकान वाले ने गेहूं नहीं दिया। घर में खाने को कुछ भी नहीं था। भोजन किए कई दिन हो गए थे। भूख लगातार बढ़ते-बढ़ते असहनीय स्थिति में पहुंच गई थी। इसलिए जान देने के लिए कीटनाशक दवा पी ली, जिससे तबीयत बिगड़ गई।

बच्चे के पिता नानूराम ने बताया कि उनके परिवार पर कर्जा बहुत हो रहा है। पैसे कमाने के लिए वह कोटा गया था। वहां भाई का फोन आया कि उसके बेटे सुनील ने कीटनाशक पी लिया। सब काम छोड़कर घर आया।

बच्चा जिला अस्पताल में रैफर

फिलहाल बच्चा उपचाराधीन है। डॉक्टरों के मुताबिक इसकी स्थिति स्थिर बनी हुई है। बाजना हॉस्पिटल के डॉक्टर जायसवाल ने बालक की स्थिति स्थिर बनी रहने के कारण उसको जिला चिकित्सालय रतलाम रैफर कर दिया है।

दोषियों के खिलाफ करेंगे कार्रवाई

बजाना तहसीलदार रमेश मसारे ने बताया कि संभवतया बच्चा 21 दिसम्बर को बाद राशन लेने गया है। उसे निर्धारित अवधि के बाद जाने के कारण राशन नहीं दिया गया होगा। मामले की पूरी सच्चाई जांच के बाद ही सामने आ सकेगी। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी करेंगे।

खेती पर निर्भर हैं ज्यादातर लोग

रतलाम जिले के ग्राम बाजना और सैलाना आदिवासी अंचल में रोजगार की काफी कमी है और ज्यादातर परिवार खेती पर ही निर्भर है, किंतु खेती से इतनी कमाई नहीं है कि उनका ढंग से गुजर बसर हो सके।