भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने मोदी पर साधा निशाना

महाराष्ट्र  केंद्र गवर्नमेंट में भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने एक बार फिर से पीएम नरेंद्र मोदी को निशाने पर लिया है मुखपत्र ‘सामना’ में शिवसेना ने रोजगार के मुद्दे पर पीएम मोदी पर हमला किया है  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते साक्षात्कार के दौरान रोजगार निर्माण का जो दावा किया था उसे खोखला साबित करने वाली जानकारी सामने आई है पीएम ने साक्षात्कार के दौरान संगठित एरिया में 70 लाख रोजगार निर्माण होने की बात कही थी असंगठित एरिया में भी बड़े पैमाने पर किस तरह रोजगार का निर्माण हुआ इसका प्रमाण उन्होंने दिया था अब ‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग भारतीय इकोनॉमी’ (सीएमआईई) नामक संस्था की रिपोर्ट में पीएम के दावों के उल्टा जानकारी सामने आई है

‘बीते साल में राष्ट्र के एक करोड़ 9 लाख मजदूरों को अपना रोजगार गंवाना पड़ा है उसका सर्वाधिक खामियाजा ग्रामीण क्षेत्रों को भुगतना पड़ा है जॉब गंवाने वालों में स्त्रियों की संख्या थोड़ी-बहुत नहीं बल्कि 65 लाख है ’ ऐसा सीएमआईई की रिपोर्ट में बोला गया है मतलब पीएम कहते हैं कि बड़े पैमाने पर रोजगार निर्माण किया गया  हो रहा है, जबकि सीएमआईई की रिपोर्ट कहती है कि रोजगार तो छोड़िए एक करोड़ 9 लाख मजदूरों के पास जो नौकरियां थीं उनकी भी नौकरियां समाप्त हो गर्इं

दिसंबर माह में 39 करोड़ 70 लाख कामगारों का पंजीयन हुआ, जो पिछले साल की तुलना में एक करोड़ 9 लाख से कम है इसका अर्थ यह है कि वर्ष भर में इतने लोगों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी हैं  यही सच्चाई है पीएम यदि 70 लाख रोजगार निर्माण करने का श्रेय ले रहे होंगे तो फिर उन्हें एक करोड़ 9 लाख लोगों की नौकरियां जाने की जिम्मेदारी भी लेनी होगी

प्रधानमंत्री कहते हैं इस तरह नए रोजगार के मौका निर्माण हुए होंगे भी, पर इन एक करोड़ नौकरियों का क्या? हर हाथ को कार्य देंगे, आपके इस आश्वासन का क्या हुआ? मोदी हमेशा ही उनकी गवर्नमेंट की ओर से किए गए रोजगार निर्माण का ढोल बजाते रहते हैं, सच में यह ढोल दोनों तरफ से फूटा हुआ है यही बात ‘सीएमआईई’ की रिपोर्ट से सामने आई है शहरी क्षेत्रों में तो बेरोजगारी है ही, मगर ग्रामीण क्षेत्रों में भी पिछले एक साल में 91 लाख नौकरियों पर कुल्हाड़ी चली है

एक तरफ पीएम ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा देते हैं, महिला सक्ष्मीकरण की बात करते हैं लेकिन उनके ही राज्य में 2018 इस एक साल में ही ग्रामीण एरिया की 65 लाख स्त्रियोंको नौकरियां गंवानी पड़ी शहरी एरिया में यह आंकड़ा 23 लाख का है इसे रोजगार निर्माण का लक्षण मानें या बेरोजगारी वृद्धि का? एक ओर पीएम हर हाथ को कार्य देने के आश्वासन का ‘गुब्बारा’ छोड़ते हैं  दूसरी ओर उनके ही एक वरिष्ठ मंत्री नितिन गडकरी हर एक को जॉब नहीं मिल सकती, ऐसी ‘पिन’ उस गुब्बारे में मारते हैं ऊपर से यह पिन नागपुर में ‘युवा सशक्तिकरण’ नामक प्रोग्राम में युवकों के सामने ही मारी जाती है

उनके ही दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हर एक के लिए जॉब संभव नहीं, ऐसा कहते हुए भजिया तलने का ‘रोजगार मंत्र’ वे सुशिक्षित बेरोजगारों को देते हैं रोजगार जैसे संवेदनशील विषय को इस तरह पिछले 4 सालों से ‘फुटबॉल’ बनाया गया है हर किसी को जॉब देना संभव नहीं होगा तो फिर दो करोड़ रोजगार का निर्माण करेंगे, हर एक हाथ को कार्य देंगे, कुछ मिलियन रोजगार निर्माण किए गए इस तरह की जुमलेबाजी क्यों करते हो? पहले वादा करना  बाद में उसके पूरा होने का दावा करने का सिलसिला पिछले 4 सालों से केंद्र  राज्य में जारी है

हकीकत में न तो वादे पूरे हुए  न ही दावे हकीकत हुए मोदी गवर्नमेंट के रोजगार निर्माण के दावे की ढोल को ‘सीएमआईई’ नामक संस्था की रिपोर्ट ने ही अब फोड़ दिया है हमारे राष्ट्रमें बेरोजगारों की समस्या बहुत बड़ी है  हकीकत यह है कि बढ़ती जनसंख्या ने उसे  भी गंभीर बना दिया है उस टोपी के तले मोदी गवर्नमेंट अपनी असफलता नहीं ढंक सकती

रोजगार की ‘जुमलेबाजी’ कर हकीकत को कुछ समय के लिए ढंका जा सकता है, मगर राष्ट्र के बेरोजगार युवकों का इस तरह मजाक मत उड़ाओ पिछले चुनाव में इन्हीं हाथों ने बड़ी उम्मीद से आपको बहुमत के साथ दिल्ली के तख्त पर बिठाया था आज वही हाथ आपकी जुमलेबाजी के विरूद्ध लहरा रहे हैं जो हाथ सत्ता के तख्त पर बिठा सकते हैं वही कल को तख्त से उतार भी सकते हैं इस बात को कोई न भूले