बाघिन के आवशेष शनिवार को मिले. जिनमें खोपड़ी व पंजे शामिल हैं. इन्हें जांच के लिए भेज दिया गया है. पार्क के फील्ड डायरेक्टर के कृष्णमूर्ति का कहना है, “जिस जानवर की मौत हुई है वह बाघिन लग रही है, जबकि नरभक्षी एक बाघ है, हम धारियों का मिलान करने की प्रयास कर रहे हैं. इसके पीछे की वजह प्रादेशिक लड़ाई हो सकती है.”
इस एरिया का सर्वेक्षण करने के बाद एक रिपोर्ट जमा की गई. इसमें बोला गया है कि ऐसे बेहद कम उदाहरण मिलते हैं जहां शावक को दो वयस्क बाघों ने खाया है. इसके अतिरिक्त एक अन्य उदाहरण भी बहुत ज्यादा दुर्लभ है कि बाघों के बीच लड़ाई हो व उनमें से एक दूसरे को मारकर खा जाए.
एरिया के डायरेक्टर ने बोला कि जानवरों के बीच नरमांस-भक्षण के बहुत से उदाहरण मिलते हैं, लेकिन बाघों के बीच ये बेहद कम होता है. किसी जानवर को खाने का कारण केवल भूख ही नहीं होती बल्कि लड़ाई भी होती है. वहीं विशेषज्ञों ने इस बात से मना कर दिया है कि एक बाघ ने दूसरे बाघ को खाया है.
उनका कहना है कि टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या अच्छी खासी बढ़ी है, जिससे प्रयत्न आदि का सामना करने के लिए नयी चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं. इनकी बढ़ती संख्या से पता चलता है कि वन विभाग ने इनके संरक्षण के लिए अच्छे कोशिश किए हैं. लेकिन अब बाघों के गलियारे व क्षेत्रीय विभाजन पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है.
बता दें मध्यप्रदेश को वर्ष 1995 में एक टाइगर स्टेट घोषित किया गया था. उस वक्त यहां हिंदुस्तान के बाघों की 20 प्रतिशत व संसार के बाघों की 10 प्रतिशत आबादी घोषित हुई थी.लेकिन अब दृश्य बदल गया है. राज्य में बाघों की हो रही मौत चिंताजनक हैं.