10 साल पुराने सहयोगी ने तोड़ा भाजपा से नाता

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तर बंगाल में भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा है। यहां एनडीए के सहयोगी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने आधिकारिक तौर पर एनडीए से अलग होने का ऐलान कर दिया है। मोर्चा के एनडीए से अलग होने से भाजपा को उत्तरी बंगाल में चार सीटों पर नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। जिसमे दार्जिलिंग की सीट भी शामिल है। ऐसा माना जाता है कि यहां बिना मोर्चा को साथ लिए कोई भी पार्टी जीत दर्ज नहीं कर सकती है।

ममता के साथ जाने को तैयार

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष बिनय तमांग ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस बाबत जानकारी देते हुए पत्र लिखा है जिसमे उन्होंने कहा है कि वह तीसरा मोर्चा का हिस्सा बनना चाहते हैं। बता दें कि तमांग ने पार्टी के महासचिव अनित थापा के साथ शनिवार को विपक्षी दलों की विशाल रैली में हिस्सा लिया था। जिसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा भाजपा से अलग हो सकती है। ऐसे में तमाम कयासों पर विराम लगाते हुए मोर्चा ने एनडीए से अलग होने का आज आधिकारिक रूप से ऐलान कर दिया।

10 साल बाद खत्म हुआ साथ

तमांग ने पत्र में लिखा कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा पिछले 10 साल से एनडीए के साथ है, हम आधिकारिक रूप से तीसरा मोर्चा के संयोजक के साथ गठबंधन करना चाहते हैं और एनडीए के साथ गठबंधन खत्म कर रहे हैं। हम तीसरा मोर्चा के साथ मिलकर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। जिस तरह से मोर्चा में नेतृत्व परिवर्तन हुआ था उसके बाद माना जा रहा था कि तमांग एनडीए के साथ रास्ते अलग कर सकते हैं और ऐसा ही हुआ, उन्होंने एनडीए के साथ 10 साल पुराना साथ खत्म कर दिया।

ममता से उम्मीद

पार्टी के सूत्र का कहना है कि पिछली बार प्रदेश में हुए आंदोलन में शांत रहने के अलावा भाजपा ने कुछ नहीं किया, अभी तक पहाड़ के लोगों तमाम वायदों को पूरा किए जाने का इंतजार कर रहे हैं। मोर्चा चाहता है कि तीसरा मोर्चा चाय के बागान के लिए मजदूरों को जमीन दे। गौर करने वाली बात है कि यहां तमाम मजदूर जो चाय बागान में काम करते हैं वह जमीन उनकी नहीं है और आज भी वह पट्टे की जमीन पर काम करते हैं।

मुख्य मांग

पार्टी के नेता का कहना है कि अगर ममता बनर्जी जमीन के अधिकार के मुद्दे को लेकर हमे भरोसा देती हैं तो भाजपा विरोधी गठबंधन को ना सिर्फ दार्जीलिंग में बढ़त मिलेगा बल्कि अलीपुरदुआर, जलपाईगुड़ी और रायगंज में भी जबरदस्त बढ़त मिलेगी। इसके साथ ही मोर्चा चाहता है कि 11 समुदायों को भाषा के आधार पर अल्पसंख्यक का दर्ज दिया जाए।