बजट से उम्मीद लगाये करदाताओं को टैक्स में छूट नहीं

आगामी अंतरिम बजट पर देश के हर वर्ग की निगाहें जड़ी हुई हैं। अप्रैल-मई में आम चुनाव के मद्देनज़र उम्मीद लगाई जा रही थी कि सरकार इनकम टैक्स में बड़ी छूट दे सकती है। कुछ सरकारी सूत्रों ने संकेत भी दिए थे कि सरकार 10 लाख तक के करदाताओं को टैक्स में कुछ राहत दे सकती है। लेकिन सरकारी खजाने में घाटे को देखते हुए सरकार फिलहाल इस बोझ के उठाने के मूड में नहीं है।

गौरतलब है कि पिछले साढ़े चार साल में सरकारी खजाने की हालत खराब हुई है। केंद्र पर कुल कर्ज 49 फीसदी से बढ़कर 82,03,253 करोड़ रुपये हो गया है। करदाता चाहते हैं कि सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स छूट लिमिट में 50 हजार रुपये की बढ़ोतरी की जाए। इससे 30 फीसदी टैक्स स्लैब यानी सालाना 10 लाख से अधिक आमदनी वाले लोग 15,000 रुपये बचा पाएंगे।

इस हिसाब से देखें तो, अगर एक करोड़ लोगों को टैक्स में छूट मिलती है तो 50,000 करोड़ रुपये टैक्स के दायरे से बाहर हो जाएंगे। इससे 15,000 करोड़ का राजस्व घाटा होगा। 5 साल पहले 2013-14 में सेक्शन 80 सी हटने के चलते 25,491 करोड़ का राजस्व में घाटा हुआ था, जो 2014 में लिमिट 50 हजार रुपये बढ़ाए जाने के बाद से इसमें बढ़ोतरी हुई। इस साल इस वजह से रेवेन्यू लॉस 58,933 करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है, जो पांच साल में 130 पर्सेंट की बढ़ोतरी है।

फाइल ग्राफ

विशेषज्ञों का मानना है कि लाभ पर आयकर बंद होना चाहिए। उनका कहना है कि कंपनियां भी इस पर टैक्स चुकाती हैं। इसलिए करदाता से लाभ होने की स्थिति में टैक्स नहीं लिया जाना चाहिए। सरकार ने 2016 में टैक्स सेविंग लिमिट में 50 हजार रुपये की बढ़ोतरी की थी। उस साल 80 सीसीडी (1बी) के तहत एनपीएस कंट्रीब्यूशंस पर टैक्स छूट दी गई थी। इसलिए ओवरऑल सेविंग लिमिट अभी 2 लाख रुपये है। सामान्य करदाताओं के लिए बेसिक टैक्स छूट को बढ़ाकर 3 लाख रुपये करने की भी मांग हो रही है। अगर ऐसा हुआ तो सीनियर सिटिजन के लिए भी लिमिट को बढ़ाकर कम से कम 3।5 लाख करना होगा। एक तरह से 2.7 करोड़ लोगों के लिए पहले ही बेसिक टैक्स में 3 लाख रूपए की छूट है।

दरअसल, साढ़े तीन लाख सालाना आय वाले लोगों को सेक्शन 87ए के तहत 2,500 रुपये की छूट मिलती है। रिटर्न फाइल करने वाले 5।7 करोड़ लोगों में से 1।5 करोड़ की आमदनी 3।5 लाख रुपये से अधिक है। अगर उनके लिए टैक्स छूट लिमिट में 50 हजार रुपये की बढ़ोतरी की जाती है तो 75,000 करोड़ रुपये टैक्स के दायरे से बाहर हो जाएंगे। इससे केंद्र को 3,750 करोड़ का राजस्व में घाटा होगा। वहीं, सीनियर सिटिजन की लिमिट बढ़ाए जाने और अन्य दूसरी वजहों से और 4,500 करोड़ रूपए का घाटा सरकार को सहना पड़ सकता है।