किसानों की इस तकनीकी से बढ़ा 3 गुना उत्पादन

गुजरात के कच्छ में खजूरों की पैदावार इस कदर हो रही है कि डेढ़ दशक में यहां उपज का रिकॉर्ड तीन गुना तक बढ़ गया है। यह खेती इजरायली तरीके से की जा रही है और जिस तरह से खजूर उत्पादन बढ़ा है, उससे इसे दूसरा इजरायल कहा जाने लगा है। बता दें कि, देश में यहां सालों से किसान इजरायल के बीज को अपने खेतों में बोते आ रहे हैं।

कच्छ में 22000 हेक्टेयर में हो रही खेती

वर्ष 2001-02 में कच्छ जिले में खजूर की खेती 9,200 हेक्टेयर भूमि में की गई थी, मगर अब यह क्षेत्र बढ़कर 22000 हेक्टेयर हो गया है। वहीं, इसका उत्पादन 0.60 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 2.00 लाख मीट्रिक टन हो गया है।बागवानी विभाग की नई तकनीक

राज्य सरकार के बागवानी विभाग द्वारा 4.5 करोड़ रुपये की लागत से इजरायल सरकार के तकनीकी सहयोग से सूखे पाम के लिए उत्कृष्टता केंद्र बनाया गया है। इस केंद्र में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा है, जिसमें सिंचाई, पेस्ट प्रबंधन, पोलन बैंक, पोस्ट हार्वेस्ट हैंडलिंग, स्टोरेज हार्वेस्टिंग मशीनरी, ग्रेडिंग, वैक्सिंग, पैकिंग प्रौद्योगिकी शामिल हैं।

बेंजामिन नेतन्याहू के दौरे में हुआ सेंटर का उद्घाटन

अपनी अति आधुनिक कृषि पद्धतियों के चलते दुनियाभर में मशहूर इजरायल इस तरह की खेती में भारत की मदद कर रहा है। वहां के प्रधानमंत्री बेन्जामिन नेतन्याहू जब गुजरात के दौरे पर आए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उन्होंने कच्छ का दौरा किया था। तब कच्छ जिले के कुकामा स्थित उत्कृष्टता केन्द्र का उद्धाटन किया गया।

टीशू कल्चर से खेती को नई ऊंचाइयां मिली

कच्छ में टीशू कल्चर के जरिये इजरायल की खजूर का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है, जिसमें किसानों ने सीधे इजरायली तकनीक को अपनाने में सफलता हासिल की है। इसके साथ, कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि टीशू कल्चर से खजूर की खेती को नई ऊंचाइयां मिली है।