संसार की सबसे लोकप्रिय सोशल साइट फेसबुक लोगों को जोड़ने के साथ आपका लेनदेन भी सरल बनाने जा रही है. कहीं भी अपना भुगतान बिना करेंसी चेंज के कर सकते हैं.
फेसबुक की डिजिटल करेंसी लिब्रा को लेकर दावे तो बहुत किए जा रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों को इसकी राह में रोड़े भी कम नहीं दिख रहे. इसके पहले डिजिटल करेंसी बिटकॉइन तेजी से लोकप्रिय हुई थी लेकिन किसी देश के केंद्रीय बैंक से मान्यता न होने व भुगतान नेटवर्क न होने से यह विफल हो गई.
माना जा रहा है कि लिब्रा अपनी खूबियों के चलते संसार भर में वित्तीय प्रणाली से दूर व अछूते लोगों का प्रभावी समावेशन करा पाएगी. हालांकि अभी इसकी स्थिरता व वैधानिकता पर सवाल बना हुआ है. अभी दुनिया बैंक की ओर से इसके भुगतान शुल्क का मामला भी है. लेकिन फेसबुक का बोलना है कि इसकी यह लागत लगभग शून्य होगी.
क्या होगा फायदा
अगर कोई आदमी दूसरे देश में जाता है या किसी दूसरे देश से किसी के पास पैसा आता है तो उसे उस देश की करेंसी में बदलाव कराना होता है. इसके चलतेयदि आप दूसरे देश में जाते हैं तो आपको करेंसी बदलने की आवश्यकता नहीं होगी.
कैसे बनाएगा मार्केट
इसका सबसे बड़ा लाभ है कि यह एम पैसा, भीम, मास्टर व वीसा कार्ड की तर्ज पर आदमी से आदमी पेमेंट करेगा. मोबाइल पेंमेट की तरह भी कार्य करेगा. इससे लोगों को बैंक में जाने की आवश्यकता नहीं होगी.
क्या है लिब्रा
फेसबुक की डिजिटल करेंसी (क्रिप्टो करेंसी) है. यह सार्वभौमिक, स्थायी व सरलता से लोगों व कारोबार के बीच स्थानांतरित की जा सकने वाली मुद्रा है.इसके लिए स्थायी पेमेंट नेटवर्क की गठन की आवश्यकता नहीं होगी. फेसबुक के साथ इस दिशा में कई कंपनियां जुड़ चुकी हैं.
कहां लटका है मुद्दा
इस करेंसी का सबसे बड़ा मसला भुगतान शुल्क है, जिसे दुनिया बैंक को तय करना है. परदेस से आने वाली रकम की विनियम का औसत शुल्क वर्तमान में सात फीसद है. कुछ राष्ट्रों में रकम भेजने के लिए लोगों को 10 फीसद तक शुल्क चुकाना पड़ रहा है. हालांकि फेसबुक का दावा है कि इससे लेनदेन का शुल्क न बराबर होगा.
क्या है क्रिप्टो करेंसी
क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल करेंसी है. यह एक कंप्यूटर मोड से दूसरे कंप्यूटर मोड को दी जा सकती है. इसे आभासी मुद्रा कह सकते हैं. साक्षात नहीं देखा जा सकता है.
वैधानिकता का सवाल
वैसे तो इस करेंसी के प्रयोग से देश विदेश में कहीं भुगतान में सरलता होगी लेकिन इसकी स्थिरता व वैधानिकता को लेकर व्यापारियों में अभी संभावना है. क्योंकि किसी भी क्रिप्टो करेंसी को किसी देश के केंद्रीय बैंक ने मान्यता नहीं दी है. हालांकि फेसबुक को अपने बड़े प्लेटफॉर्म व ब्रांड का भरोसा है.
भारत व अफ्रीकी देश निगाह में
फेसबुक अपनी इस करेंसी के लिए हिंदुस्तान व अफ्रीकी राष्ट्रों जैसे विकासशील राष्ट्रों पर निगाहें जमा रखी हैं. गरीब लोगों की बड़ी आबादी है जो परंपरागत बैंक खाते का महंगा रखरखाव वहन नहीं कर सकती है. ये लोग तेजी से मोबाइल औनलाइन व एप से बैंकिंग कर रहे हैं. हालांकि हिंदुस्तान सहित कई राष्ट्रों ने क्रिप्टो करेंसी को मान्यता नहीं दी है.