पाक ने राष्ट्र के अंदर बढ़ते भुगतान संतुलन संकट से निपटने की खातिर ‘बेलआउट पैकेज’ के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा खज़ाना (आईएमएफ) का रूख करने की सोमवार को घोषणा की। पाक ने शुरूआती हिचकिचाहट व विलंब के बाद यह कदम उठाने की घोषणा की। आईएमएफ से संपर्क करने का फैसला पाक के पीएम इमरान खान ने लिया है। हालांकि, खान ने राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को सहायता पहुंचाने के लिए इस तरह के कदमों का अतीत में विरोध किया था।
वित्त मंत्री असद उमर ने बताया कि विचार विमर्श के पीएम द्वारा इस निर्णय को मंजूरी दिए जाने के बाद आईएमएफ से वार्ता प्रारम्भ की जाएगी।
मालूम हो कि इसी वर्ष 31 मई को आई रिपोर्ट में बोला गया था कि पाक का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार खाली हो रहा है। एक आंकड़े के मुताबिक, पाक के पास अब सिर्फ 10.3 अरब डॉलर यानी 69,504 करोड़ रुपए का ही विदेशी मुद्रा भंडार है। पिछले वर्ष मई में यह 16.4 अरब डॉलर यानी 1,10,667 करोड़ रुपए था
सिर्फ 10 सप्ताह तक का भंडार
फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक, पाक के पास जितनी विदेशी मुद्रा है, वो ज्यादा से ज्यादा 10 हफ्तों तक के आयात के बराबर है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशों में जॉब कर रहे पाकिस्तानी राष्ट्र में जो पैसे भेजते थे उसमें भी गिरावट आई है। इसके साथ ही पाक का आयात बढ़ा है। चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर में लगी कंपनियों को भारी भुगतान के कारण भी विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो रहा है।
विश्व बैंक ने अक्टूबर 2017 में पाक को चेतावनी दी थी कि उसे कर्ज भुगतान व चूला खाता घाटे को पाटने के लिए इस वर्ष 17 अरब डॉलर की आवश्यकता पड़ेगी। हालांकि, पाक ने इस पर तर्क दिया था कि विदेशों में बसे धनी पाकिस्तानियों को अगर अच्छे फायदा का लालच दिया जाए तो वो अपने राष्ट्र की मदद कर सकते हैं। पाक के केंद्रीय बैंक के एक ऑफिसर ने बोला था कि अगर प्रवासी पाकिस्तानी ऑफर दिया जाएगा तो राष्ट्र में पैसा जरूर आएगा।
संकट में पाकिस्तान
अमेरिका में डोनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से पाक को मिलने वाली आर्थिक मदद में अमेरिका ने भारी कटौती की है। रॉयटर्स के मुताबिक, पाक के साथ अमरीका के संबंध पूरी तरह से पटरी से उतर गए हैं। पाक को प्रवासियों से एक अरब डॉलर की आवश्यकता है। चाइना का पकिस्तान पर कर्ज लगातार बढ़ रहा है। जून में समाप्त हो रहे इस वित्तीय साल तक चाइना से पांच अरब डॉलर का कर्ज लिया जा चुका है।
अमेरिका व करेगा कटौती
पाक व अमरीका के ख़राब हुए संबंधों के कारण चाइना की अहमियत बढ़ गई है। मतलब पाक की निर्भरता चाइना पर लगातार बढ़ रही है। अमेरिका अगले वर्ष तक पाक को दी जाने वाली आर्थिक मदद में व कटौती करेगा। आईएमएफ के मुताबिक, पाक पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2009 से 2018 के बीच पाक पर विदेशी कर्ज 50 प्रतिशत बढ़ा है। 2013 में पाक को आईएमएफ ने 6.7 अरब डॉलर का पैकेज दिया था।