कोरोना वायरस के बीच पाकिस्तान में हुआ…, देख इमरान खान हुए मजबूर

राष्ट्रपति डॉक्टर आरिफ अल्वी ने सभी प्रांतों के धार्मिक नेताओं और राजनीतिक प्रतिनिधियों से मुलाकात के बाद में यह जानकारी दी है।

 

उन्होंने कहा कि 20 बिंदुओं की योजना तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण समझौता है और सभी धर्मगुरुओं के बीच सहमति के बाद इस पर पहुंचा गया है।

मौलवी मस्जिदों में नमाज अदा करते समय सामाजिक दूरी पर बनाए गए सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए सहमत हुए हैं।

पाकिस्तान उलेमा काउंसिल (पीयूसी) ने कहा कि वह रमजान में तरावीह सहित अन्य प्रार्थनाओं के लिए सरकार के 20 सूत्री एजेंडे का पालन करेगी।

पीयूसी के चेयरमैन हाफिज ताहिर अशरफी ने नमाज पढ़ने वालों को दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए कहा है। उनका कहना है कि निर्देशों का पालन करने में ढिलाई बरतने या गलती करने पर मस्जिदों को बंद किया जा सकता है।

समझौते के अनुसार, 50 वर्ष से ऊपर के लोग, नाबालिग और फ्लू से पीड़ित लोगों को मस्जिदों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। तरावीह सड़कों, फुटपाथों और मस्जिदों के अलावा अन्य जगहों पर आयोजित नहीं की जानी चाहिए।

बताते चलें कि इस वायरस के संक्रमण की वजह से दुनियाभर में 22 लाख 61 हजार 264 लोग संक्रमित हैं, जबकि एक लाख 54 हजार 789 लोगों की मौत हो चुकी है। बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित यूरोप और अमेरिका हुआ है।

कोरोना वायरस से जंग में उठाए जा रहे सख्त कदमों और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों में पाकिस्तान को देश के कट्टरपंथियों और धर्मांध मौलवियों के आगे झुकना पड़ा है।

सरकार ने कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए देश में 30 अप्रैल तक लॉक डाउन करने की घोषणा की थी। मगर, इस बीच 23 अप्रैल से रमजान शुरू होने की वजह से कट्टरपंथी अड़ गए कि मस्जिदों को सामूहिक नमाज के लिए खोला जाए।

जबरदस्त दबाव के आगे झुकते हुए पीएम इमरान खान ने कुछ शर्तों के साथ मस्जिदों में सामूहिक नमाज को इजाजत दे दी, लेकिन इसकी वजह से कोरोना वायरस के खिलाफ उसकी जंग को झटका लग सकता है।