प्रदेश की आसनसोल लोकसभा सीट से भाजपा के बाबुल सुप्रियो व दार्जिलिंग से एसएस अहलुवालिया सांसद हैं। एसएस अहलुवालिया, बर्धमान दुर्गापुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं सुप्रियो दोबारा, आसनसोल से ही चुनाव लड़ रहे हैं।
आसनसोल मे सुप्रियो के सामने तृणमूल कांग्रेस पार्टी नेता मुनमुन सेन हैं। सेन फिलहल बांकुरा से सांसद हैं। सेन यहां की लोकल नेता नहीं हैं व न ही यहां के संसदीय क्षेत्र व जनता को कायदे से जानती हैं। इसके साथ लोगों का आरोप है कि सेन ने अपने पूर्ववर्ती लोकसभा सीट बांकुरा में बेहद कार्य नहीं किया है।
विश्लेषकों का मानना है कि ‘आसनसोल में सुप्रियो को सहानुभूति के तौर पर वोट मिल सकता है। विश्लेषक बिश्वनाथ चक्रवर्ती ने बोला कि, टीएमसी ने उन चीजों को रोकने की प्रयास की जिसकी आरंभ सुप्रियो ने की जिसे लोकल मतदाताओं ने अच्छा नहीं माना। ऐसे में सुप्रियो को साहनुभूति के तौर पर वोट मिलने की आसार है। ‘
एक अन्य विश्लेषक शिखा मुखर्जी का मानना है कि ‘आसनसोल से सुप्रियो बीते कुछ वर्षों में टीएमसी विरोधी मतों को इकट्ठा करने में सफल रहे हैं। वह वर्ष 2014 में मोदी लहर में जीते थे व उन्हें इसकी उम्मीद है कि एक बार यह तथ्य फिर उनकी मदद करेगा। ‘
वहीं दार्जिलिंग से अहलुवालिया को हटा कर बर्दवान दुर्गापुर से टिकट देने के निर्णय ने भाजपा के लिए राजनीतिक परिस्थितियां बदल दी हैं।
वहीं दार्जिलिंग से अहलुवालिया को हटा कर बर्धमान दुर्गापुर से टिकट देने के निर्णय ने भाजपा के लिए पॉलिटिकल डाइनैमिक्स बदल दिया है। अहलुवालिया के ससुर दुर्गापुर से ही हैं।इस संबंध से वह लोकसभा के मतदाताओं को खुद से जोड़ रहे हैं। यहां से टीएमसी कैंडिडेट ममता संघमित्रा, वर्ष 2014 के चुनाव में जीत कर संसद पहुंची थीं।
भाजपा का दावा है कि वह प्रदेश में 20-23 सीटें जीत सकती है हालांकि पार्टी का गेम प्लान सक्सेसफुल होने में आसनसोल व बर्धमान दुर्गापुर सीट अहम किरदार अदा करेगी।