नया साल शुरू होते ही सामने आई ये बड़ी खबर, किसानों के साथ हुआ…

किसानों के विरोध प्रदर्शन के चलते नोएडा और गाजियाबाद की तरफ से दिल्ली आने वाली ट्रैफिक के लिए चिल्ला और गाजीपुर बॉर्डर को बंद कर दिया गया है। लोगों को दिल्ली आने के लिए वैकल्पिक रास्तों का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई।

 

दिल्ली आने के लिए लोग आनंद विहार और डीएनडी जैसे रास्तों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके चलते नए साल में पार्टी मनाने वालों के साथ अन्य लोगों को भी परेशानी हो रही है। हरियाणा-दिल्ली के बीच सिंघु पर किसान डटे हुए हैं। इस वजह से सिंघु बॉर्डर पर यातायात पूरी तरह से बंद है।

कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन से खासकर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के सीमावर्ती क्षेत्रों में आपूर्ति व्यवस्था बाधित होने से दिसंबर तिमाही में 70,000 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान होगा। उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कामर्स ने ये जानकारी दी है।

नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है। आज किसान आंदोलन का 37वां दिन है। किसान संगठनों ने साफ कह दिया है कि जब तक नए कानूनों को वापस नहीं लिया जाता, वे अपने आंदोलन को जारी रखेंगे।

30 दिसंबर को सरकार और किसानों के बीच हुई बैठक में किसानों से बिजली संशोधन विधेयक 2020 और पराली जलाने से संबंधित कानूनों पर ही सहमति बन सकी।

जिन मुद्दों पर कुछ बात बनी उसमें मुख्य बात ये थी कि सरकार बिजली की कीमत और पराली जलाने को लेकर जुर्माने की कार्रवाई के मुद्दों पर किसानों की शंका दूर करेगी। हालांकि विरोध की प्रमुख वजह न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कोई ठोस फैसला नहीं हो सका।

कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसान डटे हुए हैं। किसानों के आंदोलन का आज 37वां दिन है। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के सुखविंदर सिंह सभरा ने कहा कि तीनों कृषि कानून रद्द होने चाहिए, अगर 4 जनवरी को इसका कोई हल नहीं निकला तो आने वाले दिनों में संघर्ष और तेज होगा।

कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े किसान आज शुक्रवार को केंद्र सरकार के साथ होने वाली बैठक को लेकर अहम बैठक करने वाले हैं। सिंघु बॉर्डर पर दोपहर 2 बजे किसानों की बैठक होगी।

इस बैठक में सरकार से अगले दौर की बातचीत और आंदोलन को लेकर रणनीति पर चर्चा होगी। इसके बाद शाम पांच बजे किसान संगठनों के नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं। कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच अगले दौर की बातचीत 4 जनवरी को होनी है।

इस बातचीत के लिए किसानों की अगली रणनीति क्या होगी, इसी को लेकर आज किसान संगठनों की एक बैठक होने जा रही है। इस बैठक में सभी प्रमुख किसान संगठन शामिल होंगे।