नए साल पर कोरोना वैक्सीन को लेकर शुरू हुआ ये काम, दिल्ली में हो रही अहम बैठक

भारत, अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण वाला देश है. भारत की योजना है कि आने वाले 6 से 8 महीनों में 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण किया जा सके और अब तक भारत की उम्मीदें ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन पर टिकी हुई हैं.

 

हालांकि भारत सरकार ने अभी तक सीरम इंस्टीट्यूट (SII) से वैक्सीन की खरीदा का कोई सौदा अभी तक नहीं किया है. SII पुणे स्थित कंपनी है, जो साउथ एशियाई और अफ्रीकी देशों को टारगेट करते हुए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन तैयार कर रही है.

डॉ. सोमानी ने कहा था, “उम्मीद है कि हैप्पी न्यू ईयर पर हमारे हाथ में कुछ न कुछ जरूर होगा. मैं फिलहाल इतना ही इशारा करूंगा.” गौर करने वाली बात ये है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी फाइजर-बायोएनटेक की कोरोना वैक्सीन को इमरजेंसी एप्रूवल दे दिया है. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि कई देशों के रेगुलेटर्स को वैक्सीन को मंजूरी देने में आसानी हो सके.

एक बार जब विशेषज्ञों का ये पैनल वैक्सीन को हरी झंडी दिखा देता है, तो आवेदन को अंतिम मंजूरी के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) में भेजा जाएगा. मालूम हो कि भारत सरकार इस महीने की शुरुआत से ही टीकाकरण अभियान शुरू करना चाहती है. आज की बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये बैठक देशभर में टीकाकरण प्रक्रिया के ड्राय रन के ठीक एक दिन पहले हो रही है. वहीं गुरुवार को देश के ड्रग कंट्रोलर जनरल डॉ. वीजी सोमानी ने भी वैक्सीन को लेकर सकारात्मक बयान दिया था.

भारत बायोटेक और फाइजर द्वारा दायर कोरोनावायरस वैक्सीन के लिए आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आवेदन पर आज एक बार फिर सरकार द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों की टीम दिल्ली में विचार कर रही है.

ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित की जा रही वैक्सीन ‘कोविशिल्ड’ बनाने वाले सीरम इंस्टीट्यूट और ICMR के साथ कोवैक्सिन बनाने वाले भारत बायोटेक ने बुधवार को पैनल के समक्ष अपनी बात रखी थी. हालांकि फाइजर ने अपने डेटा को पेश करने के लिए और समय मांगा था.