तीन तलाक ने लोकसभा में लिया नया मोड़, अब हो सकता है ये फैसला

बिल का विरोध करते हुए असदुल्ला ओवैसी ने कहा कि इस कानून से जनता को संविधान के आर्टिकल 14 और 15 के तहत दिए गए अधिकारों का हनन किया जा रहा है। यह बिल केंद्र में मोदी सरकार के दोबारा गठन के बाद पहला बिल होगा जो लोकसभा में पेश किया गया।

इस बिल को लेकर मोदी सरकार की मुश्किलें न सिर्फ कांग्रेस बढ़ाएंगे बल्कि सहयोगी पार्टी JDU ने भी विरोध करने का फैसला किया है।

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बिल में प्रावधान
मुस्लिम महिलाओं के अधिकार की रक्षा करने के लिए इस बिल के महत्व को रेखांकित करते हुए कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि अपनी पत्नी को तलाक देने पर पति को तीन साल की सजा निर्धारित की गई है। कानून मंत्री ने इसे मोदी सरकार के सबका साथ,सबका विकास और सबका विश्वास के तहत महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार में प्रभावी रोक लगाने के लिए इस बिल को महत्वपूर्ण बताया है।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में कैबिनेट ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 को हरी झंडी दे दी है। यह बिल फरवरी में अध्यादेश की जगह लेगा।

विपक्ष कर रहाविरोध
वहीं विपक्षी पार्टियों का कहना है कि पति को तीन साल के सजा से उनके साथ न्याय नहीं होगा। उन्होंने इसे लिंग समानता के लिए जरुरी बताया। इस प्रावधान को अविलंब हटाने की सरकार से मांग की है। मोदी सरकार को तीन तलाक बिल पर न सिर्फ कांग्रेस के विरोध का सामना करना पड़ेगा बल्कि सहयोगी पार्टी जद यू से भी तकरार झेलने पड़ेगें। जद यू ने कहा कि तीन तलाक जैसै संवेदनशील मुद्दों पर सरकार को कानून बनाने से पहले समाज से राय लेकर आगे बढ़ना चाहिए। यह एक सामाजिक मुद्दा है।

अध्यादेश का स्थान लेगी यह बिल
इससे पहले भी 16 वीं लोकसभा में मोदी सरकार ने तीन तलाक बिल को लोकसभा से पास कराकर राज्यसभा में भेजा था। लेकिन राज्यसभा में बहुमत न होने के कारण यह बिल पास नहीं हो सका। कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों ने इस बिल का विरोध करते हुए मांग की थी कि पहले इसको सलेक्ट कमेटी में भेजा जाए। लेकिन मोदी सरकार ने यह विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया है।

प्रचंड बहुमत से केंद्र में लौटी मोदी सरकार
मालूम हो कि हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए एक बार फिर केंद्र में सरकार बनाने में कामयाब रही है। जिसमें भाजपा अकेले 303 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी है। सहयोगी दलों के साथ तो 350 के पार पहुंच गई। वहीं कांग्रेस मात्र 52 सीट जीतकर पिछले के सीट में महज 8 सीट ही बढ़ा सका। नरेंद्र मोदी की अगुवाई में नए मंत्रियों ने 30 मई को शपथ ग्रहण लिया।