डेविड धवन को याद आए कादर खान

डेविड धवन ने कहा, “भाईजान, मैं उन्हें यही कहता था. वह मेरे सिनेमा की रीढ़ थे. ‘बोल राधा बोल’ में पहली बार एक साथ काम करने के बाद, मैं भाईजान के बिना किसी फिल्म का निर्देशन करने के बारे में सोच भी नहीं सकता था. मैं चाहता था कि वह लिखें और अभिनय करें. मेरी बनाई हर फिल्म में और मैंने यह सुनिश्चित किया कि ऐसा हो. लेकिन वह बहुत व्यस्त थे.”

धवन ने कहा, “एक समय था, जब हर बड़ी व्यावसायिक फिल्म में भाईजान का योगदान होता था, सिर्फ एक अभिनेता या लेखक के रूप में नहीं. बल्कि जिस फिल्म में वह काम करते थे, उसके लिए पूरी तरह उपलब्ध रहते थे.”

कादर खान के व्यापक योगदान को याद करते हुए, धवन ने कहा, “वह सिर्फ एक लेखक या अभिनेता नहीं थे. वह हर फिल्म की रीढ़ थे. जब भाईजान मेरी फिल्म में होते थे, तो मैं सुरक्षित और संरक्षित महसूस करता था. वह मेरे दोस्त थे और मेरे सहयोगी थे. अगर शूटिंग में कोई समस्या होती तो मैं उनसे पूछता.”

उन्होंने कहा, “एक लेखक के रूप में, वह निष्पक्ष होते थे. उनका स्वास्थ्य खराब होने के बाद, मुझे दूसरों के साथ काम करना पड़ा. लेकिन मेरे दिमाग में हमेशा भाईजान थे. मैं अपने लेखकों को कहता था ‘यह सीन कादर खान साहब के जैसा चाहिए’. वह मेरे करियर को रिक्त कर गए.”

कादर खान के बारे में उन्होंने कहा, “वह शूटिंग के दौरान मौके पर संवाद फिर से लिखते थे. वह हर शॉट को दूसरे स्तर पर ले गए. एक लेखक के रूप में, उन्होंने हर नायक को विश्वसनीय और शानदार बनाया. भाईजान का अमितजी (अमिताभ बच्चन की) के ऑन-स्क्रीन व्यक्तित्व में योगदान था.”

धवन, कादर खान के साथ न केवल एक पेशेवर रूप से, बल्कि व्यक्तिगत रूप से भी जुड़े हुए थे.

उन्होंने कहा, “वह मेरे बड़े भाई की तरह थे. मैं उनसे हर बात साझा कर सकता था. वह बड़े स्वाभिमानी थे. जो लोग उनका और उनके काम का सम्मान करते थे, वह उन लोगों के प्रति खुद को समर्पित कर देते थे. लेकिन जो लोग उन्हें सम्मान नहीं देते थे, उनसे वह दूर हट जाते थे. मैं उनकी प्रतिभा से पूरी तरह प्रभावित था.”