ट्रंप की धमकी के बाद अब चीन ने किया पलटवार, भारत को ऐसे होगा फायदा रोजगार की बढ़ी सम्भावना

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकी के बाद अब चीन ने भी पलटवार कर दिया है. चीन ने अमेरिका को जवाब देते हुए अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर आयात शुल्क बढ़ाने का ऐलान कर दिया है.

अमेरिका और चीन के बीच की तनातनी खत्म होने की बजाया बढ़ती ही चली जा रही है. दोनों के बीच चल रही ट्रेड वॉर हर दिन तेजी से बढ़ती चली जा रही है. दोनो ही देशों में से कोई भी न ही पीछे हटाने के लिए तैयार है और न ही समझौता करने के लिए तैयार है.

चीन ने अमेरिका को दिया जवाब-

चीन ने सोमवार को ऐलान करते हुए कहा है कि 1 जून से वह 60 अरब डॉलर की वैल्यू के अमेरिकी सामान पर आयात शुल्क बढ़ा देगा.मीडिया रिपोर्टस की माने तो चीन 5 फीसदी से लेकर 25 फीसदी तक आयात शुल्क बढ़ाने वाला है.

भारत को होगा फायदा-

अमेरिका और चीन की ट्रेड वॉर से वैसे तो एशियाई बाजार को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. लेकिन एक तरीके से ये भारत के लिए फायदेमंद भी साबित हो रहा है. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से अमेरिकी कंपनियां हटाने की धमकी दे दी हैं. अगर आगे ऐसा कुछ हुआ तो भारत के लिए यह अच्छी खबर होगी. क्योंकि वो कंपनियां भारत का रुख कर सकती हैं.हालांकि फिलहाल ट्रंप की यह धमकी चीन पर दबाव से जोड़कर देखा जा रहा है.

अमेरिका और चीन कर रहे एक दूसरे पर वार-

बता दें कि इससे पहले, 10 मई को दोनों देशों के बीच ट्रेड डील की बातचीत टूट गई थी. जिसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 200 अरब डॉलर के चीनी उत्पादों पर 25 फीसदी का शुल्क लगाया था. साथ ही ट्रंप ने अन्य 300 अरब डॉलर के चीनी उत्पादों पर इंपोर्ट शुल्क लगाने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दे दिया है.

चीन दे रहा भारत का साथ-

ट्रेड वॉर से एक तरफ जहां अमेरिका से भारत को फायदा हो सकता है. वहीं दूसरी तरफ चीन भी भारत को खुश करने में लगा हुआ है. सोमवार को विश्व व्यापार संगठन (WTO) के 22 विकासशील और सबसे कम विकसित सदस्य देशों की बैठक शुरू हुई.भारत ने इस दो दिवसीय बैठक में व्यापारिक मुद्दों पर सदस्य देशों की एकतरफा कार्रवाई से संबंधित कानून में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया है.

चीन ने इस प्रस्ताव में भारत को समर्थन दिया हैं.इस प्रस्ताव को लेकर चर्चा का मुख्य मुद्दा विकासशील देशों के लिए विशेष प्रावधान भी हैं. जिसे विशेष और विभेदकारी व्यवहार यानी स्पेशल ऐंड डिफरेंशल ट्रीटमेंट कहा जाता है. इसके तहत विकासशील देशों को समझौतों और वादों को लागू करने के लिए ज्यादा वक्त मिलता है. साथ ही, इसमें उनके व्यापारिक हितों की सुरक्षा के प्रावधान भी हैं.