झारखंड हाइकोर्ट ने उठाया ये बड़ा कदम , अधिकारियों की कार्यशैली पर जताई नाराजगी

साथ ही राज्य सरकार को विस्तृत जवाब दायर कर यह बताने का निर्देश दिया कि कितना अतिक्रमण हटाया गया. कितना अतिक्रमण नहीं हटाया जा सका है. उच्चस्तरीय समिति ने क्या कार्रवाई की है.

 

खंडपीठ ने उक्त निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई तीन सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया. इससे पूर्व वर्चुअल तरीके से उपस्थित नगर विकास सचिव विनय कुमार चाैबे ने खंडपीठ को बताया कि ग्रीन लैंड, नदियों की जमीन पर बने निर्माण के खिलाफ अभियान चलाया जायेगा. रांची, धनबाद व जमशेदपुर बड़े शहर हैं.

यहां बड़े पैमाने पर पाैधरोपण कर शहर को हरा-भरा बनाने पर काम चल रहा है. नगर आयुक्त मुकेश कुमार ने खंडपीठ को बताया कि अतिक्रमण हटाअो अभियान लगातार चलाया गया है. कई अतिक्रमण हटाये जा चुके हैं. मानव संसाधन की कमी आ रही है. आठ कनीय अभियंता व 30 सदस्यीय इंफोर्समेंट टीम बना कर अभियान चलाया जायेगा.

खंडपीठ ने कहा कि कांके डैम, धुर्वा डैम व गेतलसूद डैम की जमीन का सीमांकन करेंगे, तो अतिक्रमण अपने आप सामने आ जायेगा. रांची शहर की सुंदरता के लिए कोर्ट मुख्य सचिव को भी बुला सकता है. कोई भी कार्य असंभव नहीं है. सिर्फ इच्छाशक्ति होनी चाहिए. खंडपीठ ने सरकारी व पब्लिक लैंड के अतिक्रमण पर कहा कि कार्रवाई में विलंब नहीं किया जाये.

आदेश पारित करें आैर उसका अनुपालन करायें. कोरोना संक्रमण का बहाना नहीं चलेगा. चीफ जस्टिस ने नगर आयुक्त से कहा कि हमलोग रांची शहर का भ्रमण करते हैं. यदि आप साथ में चलते हैं, तो अवैध निर्माण की पोल खुल जायेगी.

अतिक्रमण सामने आ जायेगा. इससे आपकी भद्द पिट जायेगी. यदि प्रशासन कार्रवाई नहीं कर सकता है, तो कोर्ट अधिवक्ताअों की कमेटी बना कर जांच करा सकता है. खंडपीठ ने नगर विकास सचिव, पेयजल व स्वच्छता सचिव, उपायुक्त, नगर आयुक्त को अगली सुनवाई के दाैरान वर्चुअल उपस्थित रहने का निर्देश दिया.

उपायुक्त व नगर आयुक्त के जवाब पर खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि जब अवैध निर्माण हटा नहीं सकते, अवैध निर्माण को रोक नहीं सकते, तो ऐसे में अधिकारियों को कुर्सी पर बैठने का कोई हक नहीं है.

नदियों के किनारे के अतिक्रमण को हर हाल में हटाना होगा. खंडपीठ ने कहा कि एक समय था जब रांची में पंखे, एयरकंडिशन की जरूरत नहीं होती थी, लेकिन आज रांची कंक्रीट के शहर में बदल गया है. नदियों व जलस्रोतों की जमीन का अतिक्रमण कर लिया गया. अतिक्रमण से रांची की प्राकृतिक सुंदरता व क्लाइमेट नष्ट होती जा रही है.

झारखंड हाइकोर्ट ने जलस्रोतों के किनारे की जमीन के अतिक्रमण काे लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिकाअों पर सुनवाई के दाैरान अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी जतायी. चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए नदियों व तालाबों के किनारे हो रहे अवैध निर्माण को तत्काल रोकने का निर्देश दिया.