देश में 5 करोड़ से ज्यादा लोग थैलेसीमिया से पीड़ित हैं। प्रत्येक साल 10 से 12 हजार बच्चे थैलेसीमिया के साथ जन्म लेते हैं। हालांकि इन भयावह आंकड़ों के बावजूद इस गंभीर बीमारी को लेकर लोगों के बीच जागरूकता की कमी है, लेकिन जीन थेरेपी इस रोग के लिए अच्छा साबित हो सकती है।
मरीजों की ज़िंदगी गुणवत्ता में सुधार लाने व थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के जन्म को रोकने के लिए नेशनल थैलेसीमिया वेलफेयर सोसाइटी द्वारा डिपार्टमेन्टपीडिएट्रिक्स ने एलएचएमसी के योगदान से राष्ट्रीय राजधानी में दो दिवसीय जागरूकता सम्मेलन किया, जिसमें 200 प्रख्यात डॉक्टरों, वैज्ञानिकों व 800 मरीजों/अभिभावकों ने भाग लिया।
ल्युकाइल पैकर्ड चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल के हीमेटो-ओंकोलोजिस्ट डॉ। संदीप सोनी ने जीन थेरेपी के बारे में बताया, “जीन थेरेपी कोशिकाओं में जेनेटिक मटेरियल को कुछ इस तरह शामिल करती है कि असामान्य जीन की प्रतिपूर्ति हो सके व कोशिका में महत्वपूर्ण प्रोटीन बन सके। उस कोशिका में सीधे एक जीन डाल दिया जाता है, जो कार्य नहीं करती है। एक कैरियर या वेक्टर इन जीन्स की डिलीवरी के लिए आनुवंशिक रूप से इंजीनियर्ड किया जाता है। वायरस में इस तरह परिवर्तन किए जाते हैं कि वे बीमारी का कारण न बन सकें। ”
उन्होंने कहा, “लेंटीवायरस में प्रयोग होने वाला वायरस कोशिका में बीटा-ग्लेबिन जीन शामिल करने में सक्षम होता है। यह वायरस कोशिका में डीएनए को इन्जेक्ट कर देता है। जीन शेष डीएनए के साथ जुड़कर कोशिका के क्रोमोजोम/ गुणसूत्र का भाग बन जाता है। जब ऐसा बोन मैरो स्टेम सेल में होता है तो स्वस्थ बीटा ग्लोबिन जीन आने वाली पीढ़ियों में स्थानान्तरित होने लगता है। इस स्टेम सेल के परिणामस्वरूप बॉडी में सामान्य हीमोग्लोबिन बनने लगता है। ”
डॉ। संदीप सोनी ने कहा, “पहली पास जीन थेरेपी जून 2007 में फ्रांस में 18 वर्ष के मरीज में की गई व उसे 2008 के बाद से रक्ताधान/ खून चढ़ाने की आवश्यकता नहीं पड़ी है। इसके बाद यूएसए व यूरोप में कई मरीजों का उपचार जीन थेरेपी से किया जा चुका है। ”
भारत गवर्नमेंट के सेहत एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय सेहत मिशन ब्लड सेल की सीनियर नेशनल कन्सलटेन्ट एवं को-ऑर्डिनेटर विनीता श्रीवास्तव ने थैलेसीमिया एवं सिकल सेल रोग की रोकथाम एवं प्रबंधन के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, “रोकथाम उपचार से बेहतर है। थैलेसीमिया के लिए भी यही वाक्य लागू होता है। ” सम्मेलन के दैरान थैलेसीमिया प्रबंधन, रक्ताधान, जीन थेरेपी के आधुनिक उपकरणों, राष्ट्रीय थेलेसीमिया नीति, थैलेसीमिया के मरीजों के लिए ज़िंदगी की गुणवत्ता आदि विषयों पर चर्चा की गई।