जीएसटी चोरी के बढ़ते मामलों को देखते हुए इन चीजों पर होगी सरकार की नजर

जीएसटी चोरी के बढ़ते मामलों को देखते हुए अप्रत्यक्ष कर विभाग इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस (निगरानी ) अपनाने की तैयारी में है. GST के इंटेलिजेंस विंग को कर चोरों के विरूद्ध यह अधिकार मिलेगा. इसके अपनाने के बाद कंपनियों के लिए कर चोरी कर बच पाना कठिन होगा.

जीएसटी का कामकाज देख रहे एक वरिष्ठ ऑफिसर ने बताया कि विभाग के इंटेलिजेंस विग ने सुझाव दिया है कि बड़े कर चोरों की विरूद्ध सुराग मिलने पर उन पर इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस लगा दिया जाए ताकि उनसे जुड़े सभी मामलों के तार सरलता से  समय रहते पकड़ में आ सके. इसके लिए विभाग संदिग्धों के मोबाइल फोन, कम्प्यूटर  इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन से जुड़ी चीजों पर पैनी नजर रखेगा. सर्विलांस से मिली जानकारी को लगातार मॉनिटर किया जाएगा  मुद्देसे लिप्त लोगों को पकड़ना सरल होगा. साथ ही विभाग के अधिकारियों का मानना है कि पुख्ता सबूत होने के आधार पर ये भी पता चल सकेगा कि चोरी की गई रकम किस माध्यम से किन किन लोगों को भेजी गई है. ऐसा होने पर उसकी वसूली भी पहले के मुकाबले ज्यादा सरलता से होगी.

कर चोरी रोकने के लिए कारोबारियों के GST  आईटी रिटर्न का भी होगा मिलान होगा. सीबीडीटी की तरफ से जारी आदेश में बोला गया है कि इनकम टैक्सविभाग GST से कुछ आंकड़े साझा करने को तैयार है. इसमें इनकम टैक्स रिटर्न, कुल कारोबार, सकल आय, कारोबारी अनुपात आदि शामिल हैं.

जीएसटी चोरी रोकने के लिए सितंबर 2019 से ई-चालान को जरूरी किया जाएगा. इसके लागू होने के बाद तय सीमा से अधिक का कारोबार करने वाली इकाइयों के बीच होने वाले खरीद-फरोख्त के सभी चालान एक केंद्रीयकृत सरकारी पोर्टल से निकालने होंगे. ई-चालान व्यवस्था लागू करने के लिए समिति बन गई है.

वित्त मंत्रालय निगरानी का अधिकार देने के लिए जल्द एक प्रस्ताव तैयार कर गृह मंत्रालय को भेजेगा. देश में सर्विलांस का अधिकार देने से पहले गृह मंत्रालय की मंजूरी महत्वपूर्ण होती है. हालांकि सर्विलांस का अधिकार मिलने के बाद भी ऑफिसर किसी पर भी ऐसी जासूसी प्रारम्भ नहीं कर पाएंगे. उन्हें इसके लिए एडीशनल डायरेक्टर जनरल GST की मंजूरी लेनी होगी.