जानिये कैसे एक बार फिर चाइना ने दिया हिंदुस्तान को तगड़ा झटका, वजह बनी ये…

चाइना ने न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में हिंदुस्तान की एंट्री पर अड़ंगा बरकरार रखा है.चाइना ने शुक्रवार को बोला कि हिंदुस्तान की न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में प्रवेश को लेकर तब तक चर्चा नहीं हो सकती,

जब तक समूह में परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के गैर मेम्बर राष्ट्रों की सहभागिता को लेकर स्पष्ट योजना तैयार नहीं कीजाती.

  1. भारत ने मई 2016 में एनएसजी की सदस्यता के लिए अपील की,चाइनालगातार कह रहा है कि परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करने वालेराष्ट्रोंको ही संगठन में शामिल किया जाए.
  2. एनएसजी में 48मेम्बरहैं.ये संगठन वैश्विक परमाणु वाणिज्य को नियंत्रित करता है.हिंदुस्तानवपाकएनपीटी पर हस्ताक्षर करने वालेराष्ट्रोंमें नहीं हैं.भारतके बादपाकने भी 2016 में इसकामेम्बरबनने के लिए आवेदन किया.
  3. एनएसजी मेंहिंदुस्तानके प्रवेश के समर्थन को लेकर पूछे गए सवाल परचाइनाविदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग नेबोलाकि इस पर कोई चर्चा नहीं हुई.लू नेबोलाकि हमहिंदुस्तानके प्रवेश को नहीं रोक रहे हैं.उन्होंनेबोलाकि बीजिंग ने सिर्फ इतनाबोलाहै कि एनएसजी के नियमोंवप्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए.
  4. परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) मेंहिंदुस्तानके हस्ताक्षर ना होने की वजह सेचाइनाहिंदुस्तानकी मांग को मानने सेमनाकरता रहा है.एनपीटी में हस्ताक्षर करने वाले देश सिर्फ ऊर्जा जरूरतों के लिए ही यूरेनियम काप्रयोगकर सकते हैं.
  5. दरअसल, किसी देश को एनएसजी काभागबनाने के लिए सभी 48मेम्बरराष्ट्रोंमें आम सहमति बननामहत्वपूर्णहै.ऐसे में अकेलेचाइनाकी असहमति भीहिंदुस्तानके एनएसजी में शामिल होने में रुकावट पैदा कर रही है.
  6. एनएसजी केमेम्बरदेश आपस मेंसरलतासे परमाणु व्यापार कर सकते हैं.परमाणु शक्ति होने के नातेहिंदुस्तानइस संगठन में शामिल होने की मांग करता रहा है.अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशहिंदुस्तानकी मांग का समर्थन करते हैं.
  7. संस्थापकराष्ट्रोंकेअतिरिक्तसिर्फ फ्रांस ही बिना एनपीटी में हस्ताक्षर किए एनएसजी में शामिल किया गया है.हिंदुस्तानसरकार का तर्क रहा है कि अगर फ्रांस को बिना शर्त एनएसजी में शामिल किया गया तो हमें भी संगठन काभागबनाया जा सकता है.