जानिए मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में बना रही है ये बड़ी योजना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में कर की दर घटाकर प्रत्यक्ष कर व्यवस्था में परिवर्तनकारी कदम उठाने की योजना बना रही है, जो वैसे 30% तक है.

इस नयी योजना के तहत ईमानदार व्यक्तियों  कानूनों का अनुपालन करने वाली कॉर्पोरेट कंपनियों के लिए कर व्यवस्था को सरलबनाकर कर बेस के दायरे को बढ़ाया जाएगा.

सरकार की इस नयी योजना की जानकारी रखने वाले ऑफिसर ने बोला कि इसमें उसी वक्त कर चोरों  मनी लॉन्डर्स को बख्शा नहीं जाएगा. नरेन्द्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में प्रत्यक्ष कर व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए 1 जुलाई 2017 को GST यानी चीज एवं सेवा कर लागू किया गया था. हालांकि, GST को जिस तरह से लागू किया गया, उसकी वजह से इसकी खूब आलोचना हुई थी. मगर GST ने राष्ट्रीय स्तर, राज्यस्तर  लोकल लेवल की कर व्यवस्था की श्रृंखला को समाप्त किया था  देश में एक समान कर व्यवस्था की आरंभ की थी. यानी एक देश एक कर.

नाम न बताने की शर्त पर दो अधिकारियों ने बोला कि अब वित्त मंत्रालय को प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) के निर्धारण में तेजी लाने  व्यक्तियों  कंपनियों को स्वेच्छा से अपने कर रिटर्न दाखिल करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बोला गया है, क्योंकि सरकार प्रत्यक्ष कर आधार को विस्तार देना चाहती है.

एक ऑफिसर ने बोला कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि टास्क फोर्स (प्रत्यक्ष कर संहिता यानी डीटीसी पर) 31 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट निश्चित रूप से प्रस्तुत करेगा. आगे उन्होंने बोलाकि टास्क फोर्स का कार्य मौजूदा इनकम टैक्स कानूनों की समीक्षा करना  आर्थिक रूप से एक नए प्रत्यक्ष कर कानून का मसौदा तैयार करना है.

सरकार ने 22 नवंबर, 2017 को टास्क फोर्स का गठन किया. इस समय पीएम मोदी ने बोला था कि अह समय आ गया है कि करीब आधी शताब्दी से भी अधिक पुरानी प्रत्यक्ष कर प्रणाली में कई परिवर्तन करने की आवश्यकता है. पीएम मोदी ने उस वक्त बोला था कि देश की आर्थिक दशा और जरूरतों को देखते हुए नए प्रत्यक्ष कर कोड (डीटीसी) लाने की जरूरती है. इसी पर कार्य करते हुए 22 नवंबर 2017 को वित्त मंत्रालय ने 6 सदस्यीय एक टास्क फोर्स का गठन किया था. टाक्स फोर्स को अपनी रिपोर्ट मई 2018 में पेश करने थी, मगर इसमें देर होता चला गया.

सरकार को उम्मीद है कि कर की कम दरें करदाताओं के लिए प्रत्यक्ष कर व्यवस्था का पालन करने, रिटर्न दाखिल करने  कर का भुगतान करने, अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में काम करेगी. 31 मार्च को आखिरी वित्त साल में प्रत्यक्ष कर संग्रह 11.18 लाख करोड़ रुपये रहा, जो 12 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य से कम रह गया.

विशेषज्ञों के अनुसार जुलाई में पेश किया जाने वाला बजट, उम्मीद है कि आर्थिक विकास  रोजगार सृजन जैसे जरूरी चिंताओं को दूर करेगा. नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2017-2018 (जून-जुलाई) में बेरोजगारी दर 6.1% थी.