अमेरिका व चाइना के बीच चल रहे व्यापार युद्ध ने अमेरिकी कंपनियों पर प्रभाव डाला है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा इस्पात व एल्युमीनियम पर कर लगाने का असरकई उद्योगों में मैन्युफैक्चरिंग पर पड़ा है. केटरपिलर जैसे भारी उपकरणों के निर्माता, बीयर कंपनी एनह्यूसर-बुश, जनरल मोटर्स जैसी आटो कंपनियों का बोलना है, कच्चे माल के दाम बढ़ने से लागत में इजाफा हुआ है.
इंडियाना बाल स्टेट यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर माइकेल हिक्स कहते हैं, कोई भी कंपनी चाइना से सामान आयात नहीं करने वाली है. ट्रम्प ने पिछले साल चाइना से स्टील, एल्युमीनियम के आयात पर कर लगाया था. पिछले माह 200 अरब डॉलर के चीनी सामान पर अलावा कर लगा दिया गया. अमेरिकी निर्माता सालों से दुनियाभर से सामान व पुर्जे मंगवाते रहे हैं. वर्तमान दौर में कंपनियों के लिए खुद को ग्लोबल सप्लाई चेन से परे रखना लगभग असंभव है. व्यापार युद्ध लंबा चला तो अमेरिकी मैन्युफैक्चरर व उपभोक्ता अलग-थलग पड़ जाएंगे.
चीनी सामान पर कर लगने से कंपनियोंको समस्या
कई कंपनियां दबाव महसूस करने लगी है. सेंट पियरे मैन्युफैक्चरिंग कार्पोरेशन, मेसाचुसेट्स लगभग सौ साल से टायर चेन, वायर के रस्सों सहित स्टील के कई प्रोडक्ट बनाती है.चीनी सामान पर कर लगने से कंपनी को समस्या होने लगी है.कई अमेरिकी प्रोडक्ट बाहर से आई वस्तुओं से बनते हैं. 23% कोर्वेटे व 43% फोर्ड एक्सप्लोरर एंजिन बाहरी कच्चे माल से बनते हैं. बडवीसर बीयर व कोकाकोला के कैन आयातित एल्युमीनियम से निर्मित होते हैं. जनरल इलेक्ट्रिक अपने मेडिकल उपकरणों के कुछ पुर्जे चाइना से आयात करती है.व्यापार युद्ध के बीच कई अमेरिकी निर्माताओं ने बाहर से ज्यादा सामान मंगवाना प्रारम्भ कर दिया है. इससे घरेलू उत्पादन प्रभावित होगा. इसका प्रभाव रोजगार पर पड़ेगा.