*जमीन पर दोनों पैर फैलाकर बैठ जाएं. पैर जितना हो सके, उतना फैलाएं व दोनों हाथों को कमर के पीछे जमीन पर टिका दें.
*अब बैलेंस बनने के बाद दोनों हाथों को एक दम सीधा ऊपर की ओर ले जाएं. वहीं पैरों के पंजे भी ऊपर की ओर करें.
*अब अपनी कमर को आगे की ओर झुकाएं. हाथों से पैरों के पंजों को पकड़ लें. पैर फैले रहने चाहिए. सिर जमीन के करीब होना चाहिए.
आयंगर पद्धति से
*तीन तकियों का इस्तेमाल करें. कूल्हे के नीचे व दोनों पैरों की एड़ियों के नीचे एक-एक तकिया रख लें. इसके बाद हाथ से पैरों के पंजे पकड़कर आगे झुक जाएं.
*एक तकिया कूल्हे के नीचे रखें. इसके बाद दो स्टूल लेकर आगे रखें. इसमें दोनो पैरों के घुटने मोड़कर स्टूल के निचले भाग पर टिका दें व हाथों को स्टूल के ऊपर रख लें. जिनको कमर में तकलीफ है, उनके लिए ही यह आसन है.
*कूल्हे के नीचे एक तकिया रखें व दो छोटे तकिए पैरों की एड़ियों के नीचे रख लें. अब आगे झुकें व हाथ के पंजे जहां तक पहुंच रहे हैं, वहां पर एक स्टूल रख लें व पंजे उसी पर टिका दें.
होते हैं ये लाभ
इस आसन से सबसे ज्यादा लाभ कूल्हे को होता है व चर्बी से लेकर दर्द तक इससे दूर हो जाता है. इसके अतिरिक्त ये रीढ़ की हड्डी के नीचे के सैक्रम को तनाव मुक्त करता है. स्त्रियों के यूटरस को यह ऊपर करता है, जिससे उन्हें आराम मिलता है. साथ ही जांघों के ढीलेपन को भी इससे मुक्ती मिल जाती है.