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जानिए कैसे पश्चिम बंगाल बनता जा रहा आतंक का अड्डा, राज्य पुलिस अधिकारियों का कहना ये…

आजादी के दौर में वतन पर कुर्बानी देने वाले शहीद सबसे अधिक बंगाल से थे. उसके बाद देश को पाकिस्तान और बांग्लादेश में बांटने की आवाज भी इसी भूमि पर सबसे पहले अल्पसंख्यक नेताओं ने उठाई थी. एक बार फिर पश्चिम बंगाल चर्चा में है, लेकिन राष्ट्रवाद के लिए नहीं बल्कि आतंकवाद के लिए. पश्चिम बंगाल धीरे-धीरे आतंक का अड्डा ही नहीं बल्कि आतंक की फैक्ट्री भी बनता जा रहा है.

बांग्लादेश और भारत के अलावा एशियाई प्रायद्वीप में आतंक फैलाने के लिए आतंकियों की भर्ती अल्पसंख्यकों की आबादी वाले इलाकों में शुरू की गई है. मंगलवार को केंद्र और राज्य सरकार ने संयुक्त तौर पर इसकी पुष्टि की है. इस बारे में पश्चिम बंगाल से भाजपा सांसद सुकांत मजूमदार और खगेन मुर्मू ने संसद में एक सवाल किया. उसके जवाब में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि केंद्र सरकार को ऐसी खुफिया सूचना मिली है कि बांग्लादेश के प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन-बांग्लादेश (जेएमबी) ने राज्य के बर्दवान और मुर्शिदाबाद जिले में आतंकियों की भर्ती का काम शुरू किया है. इसके लिए जिले के कई मदरसों को ठिकाना बनाया गया है, जहां नए आतंकियों की भर्ती हो रही है. इसके बाद Kolkata पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने भी एक आतंकी की गिरफ्तारी से संबंधित बयान जारी किया है. इसमें अब्दुल रहीम नाम के एक जेएमबी आतंकी की गिरफ्तारी के बारे में जानकारी दी गई है.

एसटीएफ की ओर से जारी विज्ञप्ति में स्पष्ट किया गया है कि मूल रूप से मुर्शिदाबाद के रहने वाले अब्दुल रहीम ने मुर्शिदाबाद के धुलियान में जमात उल मुजाहिदीन का क्षेत्रीय मॉड्यूल तैयार किया था और आतंकियों को भर्ती करने का काम करता था. उन्हें प्रशिक्षण और अन्य सुविधाएं मुहैया कराने की जिम्मेवारी भी उसकी थी. तीन दिनों पहले एनआईए ने बेंगलुरु से एक और आतंकी को गिरफ्तार किया था जो 2014 की दो अक्टूबर को हुए बर्दवान ब्लास्ट मामले में वांछित था. यहां तक कि 2018 की 19 जनवरी को विश्व प्रसिद्ध बिहार के बोधगया मंदिर में हुए इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) ब्लास्ट के लिए भी आतंकियों को उसमें भर्ती किया था और जरूरी सामान मुहैया कराए थे. महज एक सप्ताह के अंदर एसटीएफ ने पश्चिम बंगाल में पांच आतंकियों को गिरफ्तार किया है जिनमें से तीन बांग्लादेशी नागरिक हैं जबकि दो पश्चिम बंगाल के. इन पांच आतंकियों में से चार इस्लामिक स्टेट (आईएस) से भी जुड़े हैं. इसके साथ ही ये लोग जेएमबी के भी सक्रिय सदस्य हैं.

गत 24 और 25 जून की रात और तड़के हावड़ा और सियालदह स्टेशन के पास छापेमारी कर चार आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था. इनमें से तीन आतंकवादी बांग्लादेश के हैं जबकि एक पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले का निवासी है. उसका नाम रबिउल इस्लाम (35) है. वह बीरभूम जिले के मित्रपुर क्षेत्र अंतर्गत नयाग्राम का निवासी है. बाकी आतंकियों में मोहम्मद शाहीन आलम उर्फ अलामिन (23) है. वह बांग्लादेश के राजशाही जिला अंतर्गत गोदागिरी थाना क्षेत्र के बुजरक राजरामपुर का निवासी है. एक अन्य आतंकी का नाम मोहम्मद जियाउर रहमान उर्फ मोहसीन उर्फ जाहिर अब्बास (44) है. वह बांग्लादेश के चपाई नवाबगंज जिला अंतर्गत नाचोल थाना क्षेत्र के निजामपुर गांव का निवासी है. चौथे आतंकी का नाम मामोनुर रशीद (33) है. वह भी बांग्लादेश के रंगपुर जिला अंतर्गत बॉर्डर गंज थाना क्षेत्र के मोमिनपुर गांव का निवासी है. इन लोगों की तलाशी लेने पर इनके पास से जिहादी किताबें, फोटो, वीडियो, मैसेज और साहित्य बरामद हुए हैं.

क्या कहना है राज्य पुलिस अधिकारियों का

इस बारे में पूछने पर मंगलवार को एसटीएफ के उपायुक्त शुभंकर सिन्हा ने बताया कि गत 25 जून को गिरफ्तार किए गए चारों आतंकियों से मैराथन पूछताछ की गई है. इसमें पता चला है कि बांग्लादेश के तीनों आतंकी वहां के विभिन्न आतंकी गतिविधियों में शामिल रहे हैं. मूल रूप से सोशल साइट के जरिए नए आतंकी भर्ती करना और तैयार करने की जिम्मेवारी इनकी थी. बांग्लादेश पुलिस को इनकी भनक लग गई थी. ये दोनों आईएस से जुड़कर बांग्लादेश और भारत में आतंकवाद को फैलाने की जुगत में लगे हुए थे. दूसरी और सुरक्षा एजेंसियां इनके पीछे पड़ गई थीं. इसीलिए बचने के लिए दोनों ने सीमा पार कर पश्चिम बंगाल में प्रवेश किया था. यहां हावड़ा जिले के उलूबेरिया में एक तृणमूल नेता के घर किराए पर रहते थे. इन लोगों ने भारत का मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड भी बनवा रखा था.

तख्तापलट कर शरीयत राज स्थापित करना चाहते थे आतंकी

शुभंकर सिन्हा ने बताया कि पूछताछ में चारों आतंकियों ने बताया है कि भारत और बांग्लादेश की लोकतांत्रिक सरकार का तख्तापलट कर वहां शरीयत राज कायम करना चाहते थे. इसके जरिए सोशल साइट और जमीनी स्तर पर नए आतंकियों की भर्ती करने का काम करते थे.